संस्कृत संस्थान लखनऊ द्वारा ’’संस्कृत भाषायाः प्रचाराय-प्रसाराय संस्थानस्य योगदानम’’ विषय पर व्याख्यान गोष्ठी का आयोजन

लखनऊ : उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ द्वारा आज यहां अपने परिसर में ’’संस्कृत भाषायाः प्रचाराय-प्रसाराय संस्थानस्य योगदानम’’ विषय पर व्याख्यान गोष्ठी का आयोजन किया गया। सर्वप्रथम दीप प्रज्वलन, माल्यार्पण के पश्चात् मुख्य अतिथियों का वाचिक स्वागत किया गया। संस्थान के निदेशक श्री विनय श्रीवास्तव जी ने अपने उद्बोधन में सभी वक्ताओं का स्वागत करते हुए सरकार की विभिन्न योजनाएँ के बारे में जानकारी दी तथा संस्कृत को बढ़ावा देने पर बल दिया।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित श्री शीलवन्त सिंह, समन्वयक, सिविल सेवा निःशुल्क एवं मार्गदर्शन योजना, उत्तर प्रदेश सस्कृत संस्थानम, लखनऊ ने बताया कि संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार एवं संरक्षण संवर्धन हेतु उ०प्र० संस्कृत संस्थान द्वारा विविध योजनाएं संचालित है। उन्होंने बताया कि निःशुल्क सिविल सेवा योजना दिसम्बर 2019 में प्रारम्भ हुई थी। इस योजना का उत्तरोत्तर गति का परिणाम है कि अभी तक कुल 69 विद्यार्थी सफल होकर विभिन्न क्षेत्रो में अपनी सेवाये दे रहे है। जिसमें 4 विद्यार्थी आई०ए०एस० की परीक्षा मे सफल होकर अपनी सेवायें दे रहे है। इस योजना से जुड़कर संस्कृत विषय के साथ आई०ए०एस० और पी०सी०एस० परीक्षा को पास करना सुगम होता जा रहा है।
विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ० रीता लिवारी, प्रोफेसर नवयुग महाविद्यालय, लखनऊ ने अपने उद्द्बोधन में कहा की संस्कृत भाषण के संवर्धन संरक्षण तथा प्रचार-प्रसार में उत्तर प्रदेश सरकृत सस्थान का योगदान महत्वपूर्ण है। सस्थान द्वारा अनवरत रूप से विभिन्न योजनाएं संचालित है, जैसे-आनलाईन सरल संस्कृत सम्भाषण गृहे-गृहे सस्कृतम् योजना, संस्कृत प्रतिभा खोज योजना, योग, पौरोहित्य, तथा ज्योतिष योजना इत्यादि। इन योजनाओं का संस्कृत के प्रचार-प्रसार में महनीय योगदान है।
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