केजीएमयू में दुर्लभ फेफड़ों की बीमारी पर पहली बार Whole Lung Lavage प्रक्रिया सफल
केजीएमयू में पहली बार Whole Lung Lavage प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी, दुर्लभ PAP रोगी को दी गई नई जिंदगी

लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू), लखनऊ ने श्वसन चिकित्सा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्ज की है। यहां के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग ने Pulmonary Alveolar Proteinosis (PAP) नामक दुर्लभ फेफड़ों की बीमारी से ग्रसित मरीज पर पहली बार Whole Lung Lavage (WLL) प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।
40 वर्षीय अनिरुद्ध, जिनका पेशा सीमेंट और पत्थर ब्लास्टिंग इंडस्ट्री से जुड़ा रहा, गंभीर सांस लेने की समस्या के साथ अस्पताल में भर्ती हुए थे। यूनिट-2 के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. एस.के. वर्मा, डॉ. राजीव गर्ग और डॉ. आनंद श्रीवास्तव की देखरेख में भर्ती मरीज को शुरुआत में हाई फ्लो नेजल ऑक्सीजन पर रखा गया।
जांच में फेफड़ों में व्यापक संलिप्तता और HRCT चेस्ट स्कैन में “ग्राउंड ग्लास” व “क्रेजी पेविंग” पैटर्न दिखा, जिससे PAP का संदेह गहराया। ब्रोंकोएल्वोलर लावेज से निदान की पुष्टि हुई। बीमारी की गंभीरता को देखते हुए विशेषज्ञों ने Whole Lung Lavage, यानी फेफड़ों को विशेष प्रक्रिया द्वारा साफ करने का निर्णय लिया।
दो चरणों में हुआ इलाज
13 जून 2025 को दाहिने फेफड़े की सफाई
7 जुलाई 2025 को बाएं फेफड़े की सफाई
इस तकनीकी रूप से जटिल प्रक्रिया में रेस्पिरेटरी मेडिसिन, एनेस्थीसिया, और जनरल सर्जरी विभागों की टीमों ने समन्वय किया। एनेस्थीसिया विभाग की डॉ. शेफाली गौतम, डॉ. विनीता सिंह, डॉ. कृतिका यादव, और डॉ. मोनिका कोहली, तथा सर्जरी विभाग के प्रो. सुरेश कुमार और उनकी टीम ने मिलकर प्रक्रिया को सफल बनाया।
रोगी की स्थिति में भारी सुधार
दोनों चरणों के पश्चात अनिरुद्ध अब ऑक्सीजन सपोर्ट से मुक्त हैं और स्थिर अवस्था में स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं। यह परिणाम इस प्रक्रिया की प्रभावशीलता को दर्शाता है, जो आज भी PAP जैसी दुर्लभ बीमारी के लिए एकमात्र प्रभावी इलाज मानी जाती है।
Pulmonary Alveolar Proteinosis एक ऐसी बीमारी है जिसमें प्रोटीन व चर्बी युक्त तत्व फेफड़ों की वायुकोशिकाओं में जमा हो जाते हैं, जिससे ऑक्सीजन अवशोषण में बाधा आती है। इसके लक्षणों में सूखी खांसी, सांस फूलना और ऑक्सीजन की कमी शामिल हैं। यह रोग सामान्यतः कार्यस्थलीय प्रदूषण या अज्ञात कारणों से होता है।
इस सफलता पर कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद ने चिकित्सा टीम को बधाई देते हुए कहा कि यह “विश्वविद्यालय के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है और तृतीयक स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में उत्कृष्टता का प्रतीक।”
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