फूड कलर और तंबाकू का सेवन लोगों में कैंसर का सबसे बड़ा कारण

Oct 30, 2025 - 21:01
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फूड कलर और तंबाकू का सेवन लोगों में कैंसर का सबसे बड़ा कारण
फूड कलर और तंबाकू का सेवन लोगों में कैंसर का सबसे बड़ा कारण

लखनऊ : मेदांता अस्पताल के रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग द्वारा कैंसर सर्वाइवर्स की प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया। इस अवसर पर कई कैंसर सर्वाइवर्स ने अपनी कहानियां साझा कीं, जिससे अन्य मरीजों को नई उम्मीद और हिम्मत मिली। साथ ही विशेषज्ञों ने बताया कि कैंसर अब लाइलाज नहीं रहा। अगर इसका पता शुरुआती चरण में चल जाए तो अधिकांश मामलों में मरीज पूरी तरह ठीक हो सकते हैं। 

कार्यक्रम में डॉ. नीरज रस्तोगी, डायरेक्टर, रेडिएशन ऑन्कोलॉजी, डॉ. मोहम्मद सुहैब, डायरेक्टर, रेडिएशन ऑन्कोलॉजी, डॉ. रेशम श्रीवास्तव एसोसिएट डायरेक्टर, रेडिएशन ऑन्कोलॉजी और डॉ नीलेश अग्रवाल, एसोसिएट कंसलटेंट रेडिएशन ऑंकोलॉजी उपस्थित रहे।

विशेषज्ञों ने बताया कि पुरुषों में लगभग 40 प्रतिशत और महिलाओं में करीब 15 प्रतिशत कैंसर का कारण तंबाकू, सिगरेट और पान मसाला जैसी चीज़ों का इस्तेमाल करना है। इन आदतों को छोड़कर भारत में करीब 40 प्रतिशत कैंसर के मामलों को रोका जा सकता है। मुंह, गले, फेफड़े के कैंसर के अलावा पेशाब की थैली और पैंक्रियाज का कैंसर भी तंबाकू का इस्तेमाल करने से होता है। इसके अलावा खाने में इस्तेमाल होने वाले आर्टिफिशियल फूड कलर भी कैंसर के लिए काफी हद तक जिम्मेदार हैं।

महिलाओं में होने वाला सबसे सामान्य स्तन कैंसर  है, जिसे महिलाएं तीन स्टेप में सेल्फ ब्रेस्ट एग्ज़ामिनेशन के माध्यम से पहचान सकती हैं। मेदांता ने महिलाओं को जागरूक करने के लिए इस एग्ज़ामिनेशन से जुड़ा एक वीडियो जारी किया है, जो ऑनलाइन उपलब्ध है। साथ ही, मेदांता  कैंप भी आयोजित कर रहा है, जहाँ प्रशिक्षित नर्सों द्वारा टॉर्सो मॉडल के माध्यम से महिलाओं को स्वयं परीक्षण करने की प्रक्रिया सिखाई जा रही है। 

अगर कैंसर की पहचान पहली या दूसरी स्टेज में हो जाए, तो 80 से 90 प्रतिशत मरीज पूरी तरह स्वस्थ हो सकते हैं। तीसरी स्टेज में लगभग 50 प्रतिशत और चौथी में 15 प्रतिशत तक मरीज पूरी तरह ठीक हो सकते हैं।

कैंसर से बचाव के लिए संतुलित आहार, पर्याप्त नींद और फलों-सब्जियों का सेवन जरूरी है। इनसे शरीर को प्राकृतिक विटामिन मिलते हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

डॉक्टर्स का मानना है कि इलाज में सर्जरी, रेडिएशन और कीमोथेरेपी का कॉम्बिनेशन सबसे असरदार माना गया। ज़्यादातर मरीज छह महीने के भीतर सामान्य जीवन में लौट आते हैं।

मेदांता के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. राकेश कपूर ने कहा, “कैंसर का नाम सुनते ही लोग डर जाते हैं, लेकिन अगर हम इसके शुरुआती संकेत पहचान लें और सही समय पर इलाज शुरू करें, तो इसे पूरी तरह हराया जा सकता है। डर के बजाय जागरूकता ही सबसे बड़ी ताकत है।”

यहाँ मौजूद कैंसर सर्वाइवर्स ने बताया कि कैसे उन्होंने इस बीमारी से जूझते हुए स्वस्थ जीवन की ओर दोबारा कदम बढ़ाया। कुछ मरीजों ने इलाज के बाद रोजमर्रा की ज़िंदगी में वापसी का तरीक़ा बताया। उनकी कहानियों ने मौजूद लोगों में डरने की जगह डटकर कैंसर का सामना करने का आत्मविश्वास जगाया और यह संदेश दिया कि कैंसर से लड़ाई के बाद जीवन की एक नई शुरुआत होती है।

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