आरटीओ विभाग में हेल्प डेस्क पसरा सन्नाटा
(संजय शुक्ला)
कानपुर :आवेदकों को जानकारी और यातायात नियमों के बारे में जागरूक करने के उद्देश्य से आरटीओ विभाग में आगंतुकों के लिए कार्यालय परिसर में हेल्प डेस्क बनाया गया , ताकि आने वाले आवेदकों को सही जानकारी उपलब्ध हो सके, लेकिन वर्तमान समय में हेल्प डेस्क की हालत इस कदर होंगे है कि शायद खुद हेल्प डेस्क को हेल्प की जरूरत है।
वर्ष 2024 में नवनियुक्त एआरटीओ प्रशासन आलोक कुमार सिंह ने विभाग का नक्शा बदलने की ठानी और आनन फानन आवेदकों को सुविधा देने के लिए कार्यालय में बदलाव लाने के लिए कार्यालय के प्रवेश द्वार पर ही हेल्प डेस्क तैयार करवा और सभी बाबुओं की एक एक दिन की ड्यूटी हेल्प डेस्क पर लगा दी। यह व्यवस्था कुछ दिन तो चली। वही हेल्प डेस्क पर मजबूरी के साथ बैठने वाले बाबुओं को ये सिस्टम और प्रथा अपनी तौहीनी लगने लगी। फिर धीरे धीरे हेल्प डेस्क को हेल्प के सहारे छोड़ दिया गया जो केवल मूकदर्शक बन करवा गया है।
आपको बता दे कि परिवहन विभाग में कुछ नया करने का फैसला किया जाता है। फिर शुरू होती है असली कहानी कागजों की और खानापूर्ति की। आरटीओ विभाग के नवनियुक्त बाबू और अधिकारी आम जनता को विभाग की छवि और कार्य प्रणाली इस कदर दिखाते जैसे पूरा सिस्टम जीरो टॉलरेंस की नीति पर भरपूर और खरा साबित हो रहा है। खुद से अपना काम करवाने आने वाले आवेदकों को कार्य की जानकारी देने वाला कोई नहीं मिलता। हेल्प डेस्क पर पसरा सन्नाटा आम लोगों को विंडो टू विंडो का चिकरघिन्नी बना देता है। बावजूद इसके अधिकारी ने भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। यानी कुल मिला कर परिवहन विभाग का हेल्प डेस्क खुद मदद की गुहार लगा रहा है और सिस्टम की पोल खोलता दिखाई दे रहा है।
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