खानपुर हुसैनाबाद में वृक्षारोपण अभियान की पोल खुली, जिम्मेदार ही लगा रहे है अभियान को पलीता

आनंदी मेल संवाददाता
अंबेडकर नगर : पर्यावरण संरक्षण के नाम पर चलाए जा रहे करोड़ों की सरकारी योजना का ग्रामीण स्तर पर क्या हाल है, यह खानपुर हुसैनाबाद गांव के पौधरोपण कार्यक्रम की विफलता से साफ झलक रहा है। ग्राम सचिवालय के सभागार में रखे गए पौधे देखभाल के अभाव में सूख चुके हैं, जबकि ग्रामीणों को पौधे मांगने पर हमेशा निराशा ही हाथ लगती है। इस लापरवाही ने न केवल स्थानीय स्तर पर वनस्पति संरक्षण को झटका दिया है, बल्कि अधिकारियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है।
गांव के ग्राम प्रधान मनीराम यादव ने सफाई देते हुए कहा, "हमें शुरू से ही सूखे पौधे ही मिले थे। हमने तो इन्हें लगाने की पूरी कोशिश की, लेकिन हालात ने साथ नहीं दिया।" हालांकि, इस दावे को क्षेत्रीय वन अधिकारी स्नेह कुमार ने सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया, "पौधशालाओं से कभी सूखे पौधों का वितरण नहीं किया जाता। इस संबंध में हमें कोई शिकायत भी नहीं मिली थी।" वन अधिकारी ने मामले की तत्काल जांच कराने का आश्वासन दिया है, ताकि सच्चाई सामने आ सके।ग्रामीणों की चिंता और गहरी है। एक ग्रामीण ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "जब भी हम पौधे लेने जाते हैं, तो खाली हाथ लौटना पड़ता है।
सचिवालय के सभागार में तो टाइल्स पर ही पौधे बिना किसी देखभाल के पड़े सड़ रहे हैं। सरकार पर्यावरण बचाओ,वृक्ष लगाओ का नारा तो दे रही है, लेकिन जमीनी हकीकत यही है।" ग्रामीणों का मानना है कि अधिकारियों की इस लापरवाही से करोड़ों की सरकारी योजना महज कागजों तक सीमित रह जाएगी, और आने वाली पीढ़ियां इसका खामियाजा भुगतेंगी।मामले ने तब और तूल पकड़ा जब एपीओ मनरेगा मनोज चतुर्वेदी ने सूखे पौधों की स्थिति का वीडियो देखा। उन्होंने इसे ग्राम प्रधान की शुद्ध लापरवाही करार देते हुए कहा, "यह गंभीर मामला है। प्रधान और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।" चतुर्वेदी ने दोनों पक्षों को नोटिस जारी करने का संकेत दिया है।इधर, ग्राम पंचायत अधिकारी सुजीत मौर्य से संपर्क साधने के प्रयास में उनका फोन बंद मिला, जिससे मामले में और रहस्य जुड़ गया है।
स्थानीय निवासी अब उम्मीद कर रहे हैं कि उच्च अधिकारियों का हस्तक्षेप जल्द ही इस मुद्दे को सुलझाएगा, वरना वृक्षारोपण जैसे नेक अभियान की साख पर दाग लगना तय है।
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