वाक् स्वतंत्रता पर विवाद: सुनीता आहूजा मामले में आदेश 16 दिसंबर को सुरक्षित

संजीव द्विवेदी बनाम सुनीता आहूजा मानहानि मामले में चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट कस्टम लखनऊ ने आदेश 16 दिसंबर के लिए सुरक्षित रखा।

Dec 9, 2025 - 21:50
Dec 9, 2025 - 21:51
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वाक् स्वतंत्रता पर विवाद: सुनीता आहूजा मामले में आदेश 16 दिसंबर को सुरक्षित

लखनऊ : चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट कस्टम, लखनऊ, श्री अमित कुमार यादव की अदालत में चल रहे महत्वपूर्ण कानूनी मामले—संजीव द्विवेदी बनाम सुनीता आहूजा—में अग्रिम आदेश की नियत तिथि अब 16 दिसंबर 2025 तय की गई है। इस हाई-प्रोफाइल मामले में आदेश पहले 4 दिसंबर 2025 को सुरक्षित रखा गया था, लेकिन न्यायिक प्रशिक्षण पर चले जाने के कारण आदेश टाइप नहीं हो सका था, जिसके बाद आज 9 दिसंबर 2025 को अगली तिथि निर्धारित की गई।

क्या है पूरा मामला?
यह मामला हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता संजीव द्विवेदी द्वारा दायर किया गया है। द्विवेदी ने अभिनेता गोविंदा की पत्नी श्रीमती सुनीता आहूजा पर आरोप लगाया है कि उन्होंने 'आबरा का डाबरा' नामक शो के दौरान "समस्त पंडितों को चोर साले कहा" और यह भी कहा कि "हमारे सामने आए सालों को भस्म स्वाहा कर दूं।" अधिवक्ता द्विवेदी ने इस अशोभनीय टिप्पणी को सुनकर इसे भारतीय संविधान के तहत वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Article 19) का घोर उल्लंघन और अपमान बताया।

संविधान और न्याय दर्शन पर आधारित बहस
अधिवक्ता संजीव द्विवेदी ने अपनी पूरी तैयारी के साथ कोर्ट में पक्ष रखा। उन्होंने स्पष्ट किया कि वाक् स्वतंत्रता संसदीय शब्दों को मान्यता देती है, न कि अपमानित करने वाली भाषा का उपयोग करने की अनुमति। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि इस तरह की अपमानजनक टिप्पणी वाक् स्वतंत्रता की सीमा को लांघना है, जो विधि विरुद्ध है।

द्विवेदी ने संविधान के अनुच्छेद 25, 26, और 51 (क) का हवाला देते हुए ज़ोरदार बहस की। अपनी बहस में, उन्होंने समाज की विभिन्न नीतियों के दृष्टांत दिए और भगवद्गीता, श्री रामचरितमानस, कबीर की कविता, और चाणक्य नीतियों जैसे भारतीय न्याय दर्शन के महत्वपूर्ण ग्रंथों से उदाहरण प्रस्तुत किए, जो वाक् स्वतंत्रता की सही परिभाषा को रेखांकित करते हैं।

न्यायालय में, श्री द्विवेदी ने कई माननीय उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय के निर्णयों को साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने न्यायालय से यह अनुरोध किया कि मेटा, फेसबुक, गूगल, और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म से आपत्तिजनक वीडियो को डिलीट करने के साथ-साथ चैनल पर प्रतिबंध लगाया जाए और विपक्षी सुनीता आहूजा के खिलाफ मुकदमा दर्ज करके उन्हें दंडित करने की कृपा की जाए।

चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट कस्टम श्री यादव ने 21 दिसंबर को दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद, केस संख्या 6203/2025 दर्ज करते हुए पत्रावली को आदेश के लिए सुरक्षित कर लिया था। अब सभी की निगाहें 16 दिसंबर 2025 को आने वाले आदेश पर टिकी हैं।

(आर.एल.पाण्डेय)

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