कुलभास्कर महाविद्यालय के शिक्षकों ने मांगों को लेकर किया विरोध प्रदर्शन
प्रयागराज के कुलभास्कर महाविद्यालय के शिक्षकों ने लंबित मांगों को लेकर काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन किया।

प्रयागराज। शहर के प्रमुख शिक्षण संस्थानों में से एक, कुलभास्कर आश्रम स्नातकोत्तर महाविद्यालय के शिक्षकों ने मंगलवार को अपनी लंबित मांगों को लेकर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ़ यूनिवर्सिटी कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन (AIFUCTO) के देशव्यापी आह्वान पर, शिक्षकों ने काली पट्टी बांधकर सरकार की नीतियों के खिलाफ अपना रोष प्रकट किया।
यह विरोध प्रदर्शन डिग्री शिक्षकों की कई महत्वपूर्ण मांगों के निस्तारण न होने के कारण किया गया। शिक्षकों का कहना है कि सरकार इन मांगों पर कोई ध्यान नहीं दे रही है, जिससे उनके हित प्रभावित हो रहे हैं। प्रमुख मांगों में पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू करना, पीएचडी इंक्रीमेंट प्रदान करना, और नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मौजूद विसंगतियों को दूर करना शामिल हैं।
इसके अतिरिक्त, प्रदर्शनकारी शिक्षकों ने अनुदानित एवं अंशकालिक शिक्षकों की सेवा शर्तों में सुधार करने, नियमित शिक्षकों की समय पर नियुक्ति करने और आठवें वेतन आयोग का गठन करने की भी मांग की। शिक्षकों का मानना है कि इन मांगों को पूरा किए बिना शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार संभव नहीं है।
इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कुलभास्कर शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. धर्मेंद्र कुमार सिंह ने किया। उन्होंने सरकार की शिक्षक-विरोधी नीतियों की कड़ी आलोचना की और कहा कि यदि उनकी मांगों को जल्द पूरा नहीं किया गया तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। प्रदर्शन में विभिन्न शिक्षक संघों के नेताओं और सदस्यों ने भाग लिया, जिनमें कुलभास्कर शिक्षक संघ के महामंत्री डॉ. प्रमोद यादव और प्रो. राजेंद्र सिंह रज्जू भैया विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष प्रो. पवन कुमार पचौरी शामिल थे।
इस अवसर पर, डॉ. बिपिन कुमार, प्रो. आर.एल. पाल, प्रो. वी.एन. पांडेय, प्रो. विश्वनाथ, प्रो. एस.पी. विश्वकर्मा, डॉ. विकास कुमार, डॉ. आभा त्रिपाठी, डॉ. श्रद्धा तिवारी, डॉ. अनुराग त्रिपाठी, डॉ. शशिकांत त्रिपाठी, डॉ. ए.सी. सिंह, डॉ. मनीष श्रीवास्तव, डॉ. मनोज सिंह, डॉ. परम प्रकाश सिंह, और डॉ. अनिल कुमार जैसे कई वरिष्ठ शिक्षकों ने सभा को संबोधित किया। सभी ने एक स्वर में सरकार से शिक्षकों की मांगों पर गंभीरता से विचार करने का आग्रह किया।
यह विरोध प्रदर्शन शिक्षा जगत में व्याप्त असंतोष को दर्शाता है और यह स्पष्ट करता है कि शिक्षक समुदाय अपने अधिकारों के लिए एकजुट है। शिक्षकों ने साफ कर दिया है कि जब तक उनकी मांगों पर उचित कार्रवाई नहीं होती, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा।
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