डॉ. प्रवीण शाही को 13.86 लाख का शोध प्रोजेक्ट
डॉ. प्रवीण शाही को नकली उत्पादों से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण शोध परियोजना के लिए 13.86 लाख रुपये मिले।

प्रयागराज: वैज्ञानिक अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए, प्रयागराज के श्यामा प्रसाद मुखर्जी राजकीय महाविद्यालय, फाफामऊ के भौतिकी विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. प्रवीण कुमार शाही को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, उत्तर प्रदेश से एक प्रतिष्ठित अनुसंधान परियोजना के लिए 13.86 लाख रुपये की वित्तीय सहायता मिली है। यह परियोजना, जिसका शीर्षक "A Novel Approach for Anticounterfeiting by using Hybrid Nanostructures" है, नकली उत्पादों की पहचान करने और उनसे निपटने के लिए एक अभिनव समाधान विकसित करने पर केंद्रित है।
यह स्वीकृति न केवल डॉ. शाही के व्यक्तिगत प्रयासों की मान्यता है, बल्कि यह इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संघटक महाविद्यालयों में अनुसंधान को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम भी है। यह परियोजना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि नकली उत्पाद आज एक वैश्विक समस्या बन चुके हैं, जो न केवल अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाते हैं बल्कि उपभोक्ता सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा पैदा करते हैं।
डॉ. शाही ने अपनी इस उपलब्धि पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा, "मैं इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट को स्वीकृत करने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद का आभारी हूँ। यह मेरे लिए एक बड़ा सम्मान और जिम्मेदारी है।" उन्होंने आगे कहा, "यह परियोजना हाइब्रिड नैनोस्ट्रक्चर का उपयोग करके एक ऐसी तकनीक विकसित करेगी जो नकली सामानों को मूल उत्पादों से अलग करने में मदद करेगी। हमारा लक्ष्य एक ऐसी प्रणाली बनाना है जो सरल, प्रभावी और व्यापक रूप से लागू हो सके।" डॉ. शाही का मानना है कि उनकी यह तकनीक फार्मास्यूटिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, लग्जरी सामान और यहां तक कि करेंसी नोट जैसे विभिन्न क्षेत्रों में क्रांति ला सकती है।
कॉलेज के प्राचार्य ने डॉ. शाही को उनकी उल्लेखनीय सफलता के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा, "यह हमारे महाविद्यालय के लिए एक गौरव का क्षण है। डॉ. शाही का काम हमारे छात्रों और अन्य शिक्षकों को अनुसंधान के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगा। यह परियोजना न केवल हमारे संस्थान की प्रतिष्ठा बढ़ाएगी, बल्कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अनुसंधान इकोसिस्टम को भी मजबूती देगी।"
यह प्रोजेक्ट अपनी तरह का पहला है जो हाइब्रिड नैनोस्ट्रक्चर के अनूठे गुणों का उपयोग करके एक मजबूत और सुरक्षित एंटी-नकली समाधान प्रदान करता है। डॉ. शाही और उनकी टीम इस परियोजना के माध्यम से एक ऐसा सुरक्षा तंत्र विकसित करने पर काम करेगी जो नकली निर्माताओं के लिए नकल करना बेहद मुश्किल बना देगा। यह तकनीक प्रकाश के साथ नैनोस्ट्रक्चर की अनूठी प्रतिक्रिया पर आधारित होगी, जिससे एक विशिष्ट पहचान चिह्न बनेगा।
इस परियोजना की सफलता से न केवल शैक्षिक और वैज्ञानिक समुदाय को लाभ होगा, बल्कि यह सीधे तौर पर समाज और अर्थव्यवस्था को भी फायदा पहुंचाएगी। नकली सामानों पर लगाम लगने से उपभोक्ताओं का विश्वास बढ़ेगा और उद्योगों को भारी वित्तीय नुकसान से बचाया जा सकेगा। डॉ. प्रवीण कुमार शाही का यह प्रयास वैज्ञानिक नवाचार को सामाजिक समस्याओं के समाधान से जोड़ने का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जो भविष्य के लिए एक नई उम्मीद जगाता है।
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