पोलैंड के पावेल कालिदास ने गंगा तट पर आयोजित महिला गंगा आरती में लिया हिस्सा

ऋषिकेश : पोलैंड से आए 12 सदस्यीय दल के साथ पावेल कालिदास (पूर्व पावेल क्वास्निविस्की) ने ऋषिकेश के प्रसिद्ध पूर्णानंद घाट पर आयोजित महिला गंगा आरती में भाग लिया और गंगा तट पर वैदिक पद्धति से यज्ञ एवं गंगा आरती की।

दिसंबर 15, 2024 - 19:17
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पोलैंड के पावेल कालिदास ने गंगा तट पर आयोजित महिला गंगा आरती में लिया हिस्सा
पोलैंड के पावेल कालिदास ने गंगा तट पर आयोजित महिला गंगा आरती में लिया हिस्सा

पावेल कालिदास ने बताया कि भारत आने के बाद उन्होंने आयुर्वेद, योग और भारतीय संस्कृति के बारे में अध्ययन किया, जिसके बाद उन्होंने सनातन धर्म को अपनाया।

पावेल कालिदास ने कहा, "सनातन धर्म केवल एक धर्म नहीं, बल्कि एक जीवन पद्धति है, जो वसुधैव कुटुम्बकम् (सम्पूर्ण पृथ्वी एक परिवार है) और लोक कल्याण की अवधारणा पर आधारित है। यह दुनिया का इकलौता धर्म है जो इस सिद्धांत को मानता है। मैं पोलैंड में लौटकर वहां के लोगों को सनातन धर्म के महानतम पहलुओं के बारे में बताऊंगा और इसके महत्व को समझाऊंगा।"

गंगा आरती में भागीदारी और भारतीय संस्कृति का प्रचार : गंगा तट पर आयोजित इस विशेष महिला गंगा आरती में पावेल कालिदास और उनके दल ने यज्ञ और आरती की विधियों का पालन किया, जिसमें ऋषिकेश गंगा आरती ट्रस्ट के अध्यक्ष हरिओम शर्मा ज्ञानी जी, एस.आर. एस्ट्रो वर्ल्ड संस्थापक आचार्य सोनिया राज, डॉ. ज्योति शर्मा, पुष्पा शर्मा, प्रमिला, गायत्री देवी सहित कई अन्य प्रमुख हस्तियां भी उपस्थित थीं।

भारत और वैश्विक संस्कृति के सम्बन्ध पर प्रकाश :  हरिओम शर्मा ज्ञानी जी ने अपने संबोधन में कहा कि भारतीय संस्कृति और धर्म की जड़ें सिर्फ भारत तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह पूरे विश्व में फैली हुई हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, "भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ के नाम से इंडोनेशिया में एयरलाइन है, और कंबोडिया में दुनिया का सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर अंकोरवाट स्थित है। इसके अलावा, चीन में बौद्ध धर्म भारत से ही गया था, और थाईलैंड में रामायण के नाम से राष्ट्रीय ग्रंथ है।"

सनातन धर्म का वैश्विक प्रचार : पावेल कालिदास ने यह भी कहा कि सनातन धर्म का संदेश अब केवल भारत तक सीमित नहीं रह सकता, बल्कि इसे दुनिया भर में फैलाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि वह पोलैंड लौटने के बाद इस धर्म का प्रचार करेंगे, ताकि अन्य देशों के लोग भी इसके लाभ और शांति के मार्ग को समझ सकें।

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