रेल विकास की नई दिशा: नरेश पाल सिंह ने संभाली उत्तर मध्य रेलवे की कमान

रेलवे में नवाचार के लिए प्रसिद्ध नरेश पाल सिंह ने उत्तर मध्य रेलवे के महाप्रबंधक का पद संभाला है।

Sep 1, 2025 - 22:58
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रेल विकास की नई दिशा: नरेश पाल सिंह ने संभाली उत्तर मध्य रेलवे की कमान

प्रयागराज: भारतीय रेलवे में अपने तकनीकी नवाचारों और दूरदर्शी नेतृत्व के लिए प्रसिद्ध, 1988 बैच के भारतीय रेल विद्युत इंजीनियरी सेवा के वरिष्ठ अधिकारी नरेश पाल सिंह ने आज 01 सितंबर 2025 को उत्तर मध्य रेलवे (NCR) के महाप्रबंधक का अतिरिक्त कार्यभार संभाल लिया है। यह महत्वपूर्ण पद उपेंद्र चंद्र जोशी के सेवानिवृत्त होने के बाद खाली हुआ था। सिंह को यह जिम्मेदारी उनके वर्तमान पद, बनारस रेल इंजन कारखाना (बरेका) के महाप्रबंधक के साथ-साथ दी गई है, जो उनके असाधारण कौशल और अनुभव में भारतीय रेलवे के भरोसे को दर्शाता है।

आईआईटी रुड़की से 1987 में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की उपाधि प्राप्त करने वाले नरेश पाल सिंह का करियर उपलब्धियों से भरा रहा है। उन्होंने मध्य रेलवे में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है, जिनमें लोको शेड प्रबंधन, लोको संचालन, ट्रैक्शन वितरण और सामान्य सेवाएँ शामिल हैं। उनकी उल्लेखनीय सेवाओं में मध्य रेलवे में मुख्य विद्युत इंजीनियर/रोलिंग स्टॉक और मुंबई मंडल के अपर मंडल रेल प्रबंधक/संचालन के रूप में कार्य करना शामिल है। मुंबई रेल विकास निगम में मुख्य विद्युत इंजीनियर/परियोजना के रूप में भी उनका योगदान सराहनीय रहा है।

बरेका में अपने कार्यकाल के दौरान, जो उन्होंने नवंबर 2024 में शुरू किया, सिंह के नेतृत्व में कारखाने ने लोकोमोटिव उत्पादन के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। वित्तीय वर्ष 2024-25 में 477 लोको का निर्माण कर बरेका ने एक नया रिकॉर्ड बनाया। इस अवधि में, एयरोडायनेमिक WAP-7 लोको का निर्माण तकनीकी उत्कृष्टता का एक उदाहरण बन गया। इसके साथ ही, रेल ट्रैक पर सोलर पैनल लगाकर हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने की पहल ने पर्यावरण संरक्षण के प्रति उनके समर्पण को उजागर किया।

बरेका से पहले, जब वे 01.09.2022 से मध्य रेलवे, मुंबई में प्रधान मुख्य विद्युत इंजीनियर के रूप में कार्यरत थे, तब भी उन्होंने कई अभिनव परियोजनाओं को अंजाम दिया। इनमें से एक प्रमुख परियोजना थी 2x25kV ट्रैक्शन सिस्टम में पहली बार ओवरहेड इक्विपमेंट (OHE) मास्ट पर ऑप्टिकल फाइबर ग्राउंड वायर (OPGW) लगाकर एरियल अर्थ कंडक्टर को बदलना। यह परियोजना न केवल तकनीकी रूप से उन्नत थी, बल्कि इसने भारतीय रेलवे के लिए एक सुरक्षित और विश्वसनीय संचार पथ भी प्रदान किया। यह तकनीक 'कवच' और 'सिग्नल एवं टेलीकम्युनिकेशन' (S&T) प्रणालियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

इस परियोजना से प्राप्त होने वाले अन्य लाभों में ऑप्टिक फाइबर कोर के माध्यम से गैर-किराया राजस्व में वृद्धि और मजबूत संचार नेटवर्क शामिल हैं। इसके अलावा, ग्राउंड मेकिंग टेक्नोलॉजी से भारतीय रेलवे को सालाना करोड़ों रुपये की बचत होने का अनुमान है।

नरेश पाल सिंह का उत्तर मध्य रेलवे के महाप्रबंधक के रूप में कार्यभार ग्रहण करना इस बात का संकेत है कि भारतीय रेलवे अपने संचालन और बुनियादी ढांचे में नवाचार और तकनीकी सुधारों को प्राथमिकता दे रही है। उनकी नियुक्ति से यह उम्मीद है कि उत्तर मध्य रेलवे भी उनके नेतृत्व में नई उपलब्धियां हासिल करेगा और भारतीय रेल को और अधिक सशक्त, सुरक्षित और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देगा।

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