मनरेगा घोटाले की जांच से ग्रामीणों में जगी उम्मीद

मनरेगा के नाम पर हो रहे भ्रष्टाचार ने गांववालों में रोष भर दिया है। मनरेगा लोकपाल से अब न्याय की उम्मीद जगी है।

Aug 11, 2025 - 21:02
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मनरेगा घोटाले की जांच से ग्रामीणों में जगी उम्मीद

(सुमित गोस्वामी / मथुरा ब्यूरो )

मथुरा: मथुरा जिले के बलदेव ब्लॉक की ग्राम पंचायत मढ़ौरा में मनरेगा योजना के तहत हो रहे भ्रष्टाचार का एक नया मामला सामने आया है। ग्रामीणों ने ग्राम प्रधान पर सरकारी चारागाह की जमीन हड़पने और मनरेगा की धनराशि का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है। यह आरोप एक बार फिर से मनरेगा जैसी महत्वपूर्ण योजना में व्याप्त भ्रष्टाचार की जड़ों को उजागर करता है। ग्रामीणों ने इस मामले की शिकायत मनरेगा लोकपाल और मुख्यमंत्री से की है, जिससे उन्हें न्याय की उम्मीद जगी है।

ग्राम पंचायत मढ़ौरा में सरकारी चारागाह की जमीन को हड़पकर उस पर टीनशेड डालकर निवास बना लिया गया है। इसके अलावा, इस जमीन पर खेती भी की जा रही है, जिससे गांव के पशुओं के लिए चारागाह समाप्त हो गया है। ग्रामीणों का आरोप है कि ग्राम प्रधान ने अपने निजी फायदे के लिए इस सरकारी जमीन का उपयोग किया है।

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि ग्राम प्रधान और उसके परिजनों ने अपनी निजी जमीन पर मनरेगा योजना के तहत मजदूरों से काम करवाया। इसमें मिट्टी डलवाने और जमीन को समतल करने जैसे कार्य शामिल हैं। नियमानुसार, मनरेगा योजना के तहत केवल सार्वजनिक हित के कार्यों को ही अनुमति है, जिनसे पूरे गांव को लाभ हो। लेकिन यहां, योजना का उपयोग पूरी तरह से निजी कार्यों के लिए किया गया, जिससे सरकारी खजाने को करोड़ों का चूना लगाया गया है।

ग्रामीणों के अनुसार, उन्होंने इस भ्रष्टाचार की शिकायत कई बार की है, लेकिन अधिकारियों की मिलीभगत के कारण कोई कार्रवाई नहीं हुई। इससे ग्रामीणों में भारी नाराजगी है। उनका कहना है कि जब गांव के लोगों ने मनरेगा के तहत अपने काम के बारे में ग्राम प्रधान से पूछा, तो उन्हें कोई जवाब नहीं मिला। इससे यह स्पष्ट होता है कि प्रधान की प्राथमिकता गांव का विकास नहीं, बल्कि अपना निजी लाभ है।

यह मामला तब और गंभीर हो जाता है जब पता चलता है कि पूर्व में विभिन्न अधिकारियों द्वारा की गई जांचों में इन आरोपों की पुष्टि हो चुकी है। बावजूद इसके, प्रधानों के खिलाफ कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया। इस तरह की ढिलाई से भ्रष्टाचारियों का हौसला और बढ़ता है।

मनरेगा लोकपाल को की गई शिकायत से ग्रामीणों को अब न्याय की उम्मीद है। मनरेगा लोकपाल एक स्वतंत्र निकाय है, जिसका काम मनरेगा योजना में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की जांच करना है। ग्रामीणों को विश्वास है कि लोकपाल इस मामले की निष्पक्ष जांच करेगा और दोषियों पर कार्रवाई करेगा।

यह मामला केवल मढ़ौरा गांव का नहीं, बल्कि देश के कई हिस्सों में मनरेगा योजना में हो रहे भ्रष्टाचार का एक उदाहरण है। मनरेगा, जो गरीबों को रोजगार और आजीविका प्रदान करने के लिए बनाई गई थी, अक्सर भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है। अगर ऐसे मामलों पर सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो मनरेगा जैसी योजनाएं अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो पाएंगी।

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