अंबेडकरनगर: देहदानियों को मिला सम्मान, मानवता की सर्वोच्च सेवा को नमन
अंबेडकरनगर के महमाया मेडिकल कॉलेज में देहदानकर्ताओं को सम्मानित किया गया, उनके योगदान को चिकित्सा शिक्षा की नींव बताया गया।

अंबेडकरनगर : समाज के लिए सर्वोच्च त्याग करने वाले देहदानियों को नमन करने और उनके योगदान को याद करने के लिए महमाया राजकीय एलोपैथिक मेडिकल कॉलेज में एक विशेष सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। कॉलेज के एनाटॉमी विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में उन महान दानवीरों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की गई, जिन्होंने चिकित्सा शिक्षा और विज्ञान के विकास के लिए अपना शरीर दान किया है।
यह कार्यक्रम उन 40 देहदानियों के सम्मान में था, जिन्होंने अपने जीवन के बाद भी मानवता की सेवा करने का संकल्प लिया था। इनमें के.पी. सिंह पालीवाल, संगीता विश्वकर्मा, शिव कुमार गुप्ता, रामदास गुप्ता, गुलशन जहाँ जैसे कई दानवीर शामिल थे। उनके इस अतुलनीय योगदान को भावी चिकित्सकों की शिक्षा का आधार और चिकित्सा विज्ञान की प्रगति में एक मील का पत्थर बताया गया। देहदानियों के बिना, मेडिकल के छात्र मानव शरीर को गहराई से नहीं समझ सकते, जिससे उनकी शिक्षा अधूरी रह जाती है। इस लिहाज से, इन दानवीरों का योगदान अमूल्य है।
समारोह में कॉलेज के प्रधानाचार्य प्रो. (डॉ.) मुकेश यादव ने सभी देहदानियों के परिजनों को आईडी कार्ड और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि देहदान एक ऐसा कार्य है जो जीवन के बाद भी दूसरों के जीवन को बेहतर बनाने में मदद करता है। यह मानवता की सबसे बड़ी सेवा है।
इस अवसर पर, एनाटॉमी विभागाध्यक्ष डॉ. संदीप शर्मा, ब्लड बैंक विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज गुप्ता, मेडिसिन विभाग के डॉ. रवीन्द्र कुमार, डॉ. अनिल यादव, डॉ. अजय कुमार, डॉ. याशीर, डॉ. गौरव विश्वकर्मा, डॉ. अंकित वर्मा सहित कई प्राध्यापक, चिकित्सक और लैब तकनीशियन उपस्थित रहे। सभी ने एक स्वर में देहदान को मानवता की सर्वोच्च सेवा बताया और समाज में इसके प्रति अधिक जागरूकता की आवश्यकता पर जोर दिया।
कार्यक्रम का संचालन प्रवीण जी और बैच-24 के छात्रों ने किया, जिनकी प्रस्तुतियों ने सभी को भावुक कर दिया। छात्रों द्वारा प्रस्तुत देहदान प्रेरक नाटक ने इस महान कार्य के महत्व को सशक्त ढंग से दर्शाया, जिससे उपस्थित लोगों की आँखें नम हो गईं।
कार्यक्रम के अंत में, सभी देहदानियों की पुण्य स्मृति में मौन धारण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस सम्मान समारोह ने न केवल देहदानियों के बलिदान को याद किया, बल्कि यह समाज के लिए एक प्रेरणा भी बना कि कैसे जीवन के बाद भी हम दूसरों के लिए एक बेहतर दुनिया छोड़ सकते हैं।
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