म्यांमार में फर्जी नौकरी रैकेट का पर्दाफाश, भारतीय दूतावास ने बचाए 8 युवा
म्यांमार में फंसे 8 भारतीय नागरिकों को दूतावास ने छुड़ाया, अब तक 840 लोगों की हो चुकी है वापसी।

नई दिल्ली। विदेश मंत्रालय के सतर्क प्रयासों और म्यांमार व थाईलैंड स्थित भारतीय मिशनों के समन्वय से म्यांमार के म्यावाडी क्षेत्र में फर्जी नौकरी के जाल में फंसे 8 भारतीय नागरिकों को सुरक्षित बचाया गया है। उन्हें 8 जुलाई 2025 को बैंकॉक होते हुए भारत वापस लाया गया, जो इस साल अब तक के रेस्क्यू मामलों को मिलाकर कुल 840 की संख्या को पार कर चुका है।
भारतीय दूतावास ने स्पष्ट किया कि ये नागरिक अंतरराष्ट्रीय अपराध सिंडिकेट के शिकार बने थे, जो म्यावाडी क्षेत्र में फर्जी कॉल सेंटर और धोखाधड़ी गतिविधियों में जबरन काम करवाते हैं।
भारतीय दूतावास, म्यांमार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर जानकारी साझा करते हुए लिखा –
“म्यावाडी घोटाला केंद्रों से रिहाई के बाद, 8 भारतीय नागरिकों को आज बैंकॉक के रास्ते भारत भेजा गया। जुलाई 2024 से अब तक 840 व्यक्तियों को सुरक्षित छुड़ाया जा चुका है।”
दूतावास ने फिर चेतावनी दी कि बिना उचित परामर्श और वैरिफिकेशन के कोई भी विदेशी नौकरी स्वीकार न करें। अवैध रूप से सीमा पार करने से भविष्य में वीज़ा या प्रवेश पर स्थायी प्रतिबंध भी लग सकता है।
इसी अभियान के तहत थाईलैंड स्थित भारतीय दूतावास ने 8 जुलाई को माई सोत बॉर्डर से 8 भारतीयों को रेस्क्यू कर स्वदेश भेजा। दूतावास ने कहा कि इन युवाओं को म्यांमार-थाईलैंड सीमा पर स्थित फर्जी तकनीकी केंद्रों से छुड़ाया गया, जहां उन्हें कॉल सेंटर फ्रॉड और साइबर ठगी जैसे कार्यों के लिए मजबूर किया गया था।
दूतावासों ने फिर दोहराया:
“विदेशी रोजगार प्रस्तावों को स्वीकार करने से पहले नियोक्ता की वैधता, एजेंट की साख और कंपनी के रिकॉर्ड की जांच ज़रूर करें।"
गौरतलब है कि म्यावाडी क्षेत्र, म्यांमार-थाईलैंड सीमा पर साइबर क्राइम और मानव तस्करी के गढ़ के रूप में कुख्यात हो चुका है। बीते एक वर्ष में इस क्षेत्र में फंसे सैकड़ों भारतीय नागरिकों को भारत वापस लाया जा चुका है।
सरकार द्वारा समय-समय पर एडवाइजरी जारी कर लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी जा रही है, फिर भी कई युवा अनजान एजेंटों और झूठे वादों के चलते फर्जी नौकरी रैकेट में फंस जाते हैं।
भारतीय दूतावासों की सजगता और स्थानीय प्रशासन के सहयोग से ऐसे मामलों में राहत मिल रही है, लेकिन अंतिम सुरक्षा कदम भारतीय नागरिकों की सतर्कता ही है।
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