शिवभक्ति और पर्यावरण संरक्षण का अद्वितीय संगम: पूर्णानंद घाट पर कांवड़ियों ने ली गंगा आरती में शपथ

कांवड़ यात्रा में कांवड़ियों ने गंगा आरती में लिया स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण और पुलिस सहयोग का अनूठा संकल्प।

Jul 21, 2025 - 19:07
Jul 21, 2025 - 19:08
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शिवभक्ति और पर्यावरण संरक्षण का अद्वितीय संगम: पूर्णानंद घाट पर कांवड़ियों ने ली गंगा आरती में शपथ

ऋषिकेश : श्रावण मास के दूसरे सोमवार को ऋषिकेश स्थित पूर्णानंद घाट पर एक विशेष अवसर देखने को मिला, जब महिला गंगा आरती के दौरान सैकड़ों कांवड़ियों ने धार्मिक आस्था के साथ-साथ सामाजिक जिम्मेदारी का भी अद्वितीय संकल्प लिया। इस अवसर पर गंगा आरती में शामिल हुए कांवड़ यात्रियों को सुरक्षित यात्रा, पर्यावरण संरक्षण और पुलिस प्रशासन के सहयोग का शपथ दिलाया गया।

इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य केवल धार्मिक अनुष्ठान तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसे राष्ट्र निर्माण और प्रकृति संरक्षण के व्यापक संदर्भ से भी जोड़ा गया। कांवड़ियों ने मां गंगा की दिव्य आरती में भाग लेने से पहले गंगाजल भरते हुए समृद्ध भारत और स्वच्छ समाज की कामना की।

ऋषिकेश गंगा आरती ट्रस्ट के अध्यक्ष हरिओम शर्मा ‘ज्ञानी’ जी ने इस अवसर पर कहा कि आज की कांवड़ यात्रा केवल शिव आराधना तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जल संरक्षण, स्वच्छता, और पर्यावरण के प्रति जन जागरूकता का संदेश देने का एक माध्यम बन चुकी है। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं से आह्वान किया कि वे जल व पर्यावरण सुरक्षा को एक जन आंदोलन बनाएं।

महिला शक्ति की उपस्थिति और नेतृत्व में आयोजित इस गंगा आरती में विशेष रूप से डॉ. ज्योति शर्मा, आचार्य सोनिया राज (संस्थापक, एस्ट्रो वर्ल्ड), पुष्पा शर्मा, आशा डंग, पूनम रावत, अंजना उनियाल, बंदना नेगी, गायत्री देवी, और प्रमिला जैसी महिलाओं ने अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की।

गंगा तट पर "हर-हर महादेव" और "हर-हर गंगे" के जयकारों ने माहौल को भक्तिमय बना दिया। गंगा आरती के अलौकिक दृश्य और दीपों की रौशनी ने कांवड़ियों को आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान की। इस मौके पर कांवड़ियों ने एक स्वर में गंगा, यमुना, और अन्य सहायक नदियों को स्वच्छ रखने का संकल्प लिया।

इस आयोजन में बड़ी संख्या में श्रद्धालु और पर्यावरण प्रेमी उपस्थित थे, जिन्होंने जल एवं पर्यावरण संरक्षण में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने का प्रण लिया। कार्यक्रम का आयोजन महिलाओं की अगुवाई में होना इस बात का प्रतीक है कि पर्यावरण और सामाजिक बदलाव की दिशा में महिला शक्ति अग्रणी भूमिका निभा रही है।

पूर्णानंद घाट पर आयोजित इस आध्यात्मिक और सामाजिक समागम ने यह सिद्ध किया कि श्रद्धा और सामाजिक उत्तरदायित्व का मेल ही सच्ची राष्ट्रभक्ति का प्रतीक है।

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