हीरालाल यादव ग्रुप ऑफ कॉलेजेज में शिक्षक दिवस: ज्ञान और सम्मान का अनूठा उत्सव
हीरालाल यादव ग्रुप ऑफ कॉलेजेज में शिक्षक दिवस का भव्य आयोजन। छात्रों ने गुरुओं का सम्मान किया, चेयरमैन ने शिक्षकों के योगदान को सराहा।

ग्रुप के सभी परिसरों में आयोजित इस भव्य समारोह में शिक्षकों के प्रति विद्यार्थियों का गहरा सम्मान और कृतज्ञता देखने को मिली। हर ओर ज्ञान और अनुशासन की महक थी, जब छात्र-छात्राओं ने अपने गुरुओं का अभिनंदन किया।
समारोह की शुरुआत डॉ. राधाकृष्णन के चित्र पर माल्यार्पण और पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ हुई। विद्यार्थियों ने शिक्षकों के सम्मान में मनमोहक सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं, जिनमें कविता पाठ, गीत, नृत्य और लघु नाटक शामिल थे। छात्रों द्वारा दिए गए भाषणों में शिक्षकों के प्रति उनके प्रेम और आभार की भावना स्पष्ट रूप से झलक रही थी। उन्होंने अपने शिक्षकों को ज्ञान के ऐसे दीपक बताया, जो न केवल उनके जीवन को प्रकाशित करते हैं, बल्कि उन्हें सही और गलत के बीच फर्क करना भी सिखाते हैं।
इस अवसर पर, छात्रों ने अपने शिक्षकों को उपहार भेंट कर उनका सम्मान किया। कॉलेज का पूरा वातावरण गुरु-शिष्य परंपरा की गरिमा से ओत-प्रोत था।
समारोह को संबोधित करते हुए, ग्रुप के चेयरमैन श्री राम सिंह यादव ने शिक्षकों की निस्वार्थ सेवा और समर्पण की सराहना की। उन्होंने कहा, "शिक्षक सिर्फ पाठ्यपुस्तकें नहीं पढ़ाते, बल्कि वे विद्यार्थियों के चरित्र का निर्माण करते हैं, उनके सपनों को पंख देते हैं और उन्हें समाज के जिम्मेदार नागरिक बनाते हैं। एक कुशल शिक्षक का मार्गदर्शन ही समाज, राष्ट्र और आने वाली पीढ़ियों के उज्ज्वल भविष्य की नींव रखता है।"
उन्होंने आगे कहा कि हीनालाल यादव ग्रुप ऑफ कॉलेजेज शिक्षकों को वह सम्मान और संसाधन प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार लाने और विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास में मदद करेगा।
इस खास मौके पर, कॉलेज के वरिष्ठ प्राध्यापकों और गणमान्यजनों ने अपनी उपस्थिति से समारोह की शोभा बढ़ाई। इनमें डॉ. अनामिका श्रीवास्तव, डॉ. चित्रा त्रिपाठी, डॉ. संजीव कुमार, श्रीमती पूनम श्रीवास्तव, सुश्री प्रतिभा पांडेय, श्रीमती नीतू रस्तोगी, श्री हरिनाम सिंह और सुश्री यामिनी तिवारी प्रमुख थे।
समारोह का समापन शिक्षकों के सम्मान और शिक्षा की गुणवत्ता, नवाचार और विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के प्रति ग्रुप के अटूट संकल्प के साथ हुआ। यह समारोह केवल एक आयोजन नहीं था, बल्कि यह गुरु-शिष्य के पवित्र रिश्ते का उत्सव था, जो शिक्षा और ज्ञान के महत्व को पुनः स्थापित करता है।
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