आखिर क्यों आपकी दैनिक जीवनशैली है असली दिल का सेहत कवच

लखनऊ : डॉ. हर्षित खरे, कार्डियोलॉजिस्ट, एसजीपीजीआई, लखनऊ के मुताबिक नवाबों के शहर में जहां आधुनिकता और परंपरा साथ-साथ चल रही है, वहीं दिल की सेहत अब सबसे बड़ा सवाल बन गई है। लखनऊ के डॉक्टर मानते हैं कि दवाइयाँ ज़रूरी हैं, लेकिन असली सुरक्षा जीवनशैली से ही आती है। तेज़ रफ़्तार जीवन, लंबे काम के घंटे, नमक से भरपूर आहार और तनाव भरी दिनचर्या ने शहर में हृदय रोगों का ख़तरा कई गुना बढ़ा दिया है। कभी बुज़ुर्गों तक सीमित मानी जाने वाली ये समस्या अब युवाओं और कामकाजी वर्ग को भी तेज़ी से प्रभावित कर रही है।
विशेषज्ञों का कहना है कि दवाइयाँ लक्षणों पर नियंत्रण रख सकती हैं, लेकिन रोज़मर्रा की आदतें ही दिल को असली बचाव देती हैं। ग़लत खान-पान, व्यायाम की कमी, अनियमित नींद और लगातार तनाव धीरे-धीरे रक्तचाप बढ़ाते हैं और धमनियों को कमज़ोर करते हैं। जब तक लक्षण सामने आते हैं, अक्सर नुकसान हो चुका होता है। यही कारण है कि डॉक्टर अब लखनऊवासियों को नियमित व्यायाम, योग और संतुलित
----------------------------------------------------
(डॉ. हर्षित खरे, कार्डियोलॉजिस्ट,
एसजीपीजीआई, लखनऊ)
---------------------------------------------
जीवनशैली अपनाने की सलाह दे रहे हैं।
नियमित शारीरिक गतिविधि इस कवच का आधार है। जनसंध्या मिश्रा पार्क या गोमती रिवरफ़्रंट पर रोज़ाना 30 मिनट की सैर से रक्तसंचार सुधरता है, मूड बेहतर होता है और ब्लड प्रेशर काबू में रहता है। दौड़ना, तैरना और साइक्लिंग जैसे एरोबिक व्यायाम दिल और फेफड़ों को मज़बूत बनाते हैं। वहीं स्क्वैट्स जैसे सरल व्यायाम रक्त प्रवाह को बेहतर करते हैं और रस्सी कूदना हृदय गति बढ़ाने का आसान तरीका है।
“दवाइयाँ इलाज कर सकती हैं, लेकिन सुरक्षा जीवनशैली से मिलती है। नियमित चलना, अनुशासित योग और संतुलित भोजन ही दिल का असली कवच हैं,” कहते हैं डॉ. हर्षित खरे, कार्डियोलॉजिस्ट, एसजीपीजीआई, लखनऊ। शहर के कार्डियक रिहैब सेंटर अब इन व्यायामों को विशेषज्ञ देखरेख में मिलाकर लोगों को व्यक्तिगत योजनाएँ उपलब्ध करा रहे हैं।
दिल की सेहत में योग की भूमिका भी मज़बूत हो रही है। शवासन तनाव घटाकर रक्तचाप को कम करता है, जबकि कपालभाति प्राणायाम रक्तसंचार और पाचन सुधारकर दिल की कार्यक्षमता बढ़ाता है। शिव अष्टांग योग अनुक्रम में आसन, प्राणायाम और ध्यान का संतुलन है, जो वज़न और ब्लड प्रेशर दोनों को नियंत्रित करने में मदद करता है। लखनऊ के योग केंद्रों और सामुदायिक कक्षाओं में इन अभ्यासों को हर उम्र के लोगों के लिए सुलभ बनाया जा रहा है।
बड़ा संदेश यही है कि रोकथाम किसी तात्कालिक उपाय का नहीं बल्कि निरंतर अनुशासन का नाम है। रोज़ाना चलना, संतुलित आहार, समय पर नींद और तनाव पर नियंत्रण मिलकर दिल को मज़बूत बनाते हैं। बदलते लखनऊ के लिए ये सुझाव नहीं, बल्कि ज़रूरत बन चुके हैं।
जैसे-जैसे शहर आगे बढ़ रहा है, उपचार से ज़्यादा महत्व अब रोज़मर्रा की आदतों को मिल रहा है। नवाबी पहचान वाले इस शहर के लिए असली सुरक्षा अब पार्कों की सैर, योग स्टूडियो की साधना और घरों के रसोईघर में संतुलन से ही आएगी। डॉक्टरों का कहना है कि दिल की सेहत अब अस्पतालों में नहीं, बल्कि हर नागरिक के छोटे-छोटे रोज़ाना के फ़ैसलों में छिपी है।
What's Your Reaction?






