"सावन: शिवभक्ति, वर्षा और आस्था का पावन संगम"

सावन माह शिव भक्तों के लिए है विशेष, जानिए इसके पीछे की पौराणिक मान्यताएं और आध्यात्मिक महत्व

Jul 10, 2025 - 14:54
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"सावन: शिवभक्ति, वर्षा और आस्था का पावन संगम"
"सावन: शिवभक्ति, वर्षा और आस्था का पावन संगम"

11 जुलाई से शुरू हो रहा श्रावण मास हिंदू पंचांग का पांचवां महीना है, जिसे विशेष रूप से भगवान शिव की आराधना के लिए जाना जाता है। यह महीना न केवल धार्मिक रूप से बल्कि प्राकृतिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। हरियाली से सजी प्रकृति, ठंडी हवाएं और रिमझिम बारिश के बीच शिव भक्ति का स्वर गुंजायमान होता है।

पौराणिक संदर्भ और शिव का नीलकंठ स्वरूप

पुराणों के अनुसार, समुद्र मंथन के समय जब हलाहल नामक विष निकला था, तो पूरे ब्रह्मांड में हाहाकार मच गया था। उस विष को नष्ट करने में कोई सक्षम नहीं था। तब भगवान शिव ने संसार की रक्षा हेतु उसे स्वयं पी लिया। उन्होंने उसे अपने कंठ में रोक लिया जिससे उनका कंठ नीला पड़ गया और वे “नीलकंठ” के रूप में पूजे गए।

विष पीने से शिवजी के शरीर में तीव्र जलन होने लगी। इस पीड़ा को शांत करने के लिए ऋषियों, देवताओं और भक्तों ने उन्हें ठंडे जल से अभिषेक किया। यही कारण है कि आज भी सावन में शिवलिंग पर जल चढ़ाने की परंपरा निभाई जाती है। यह एक आध्यात्मिक क्रिया है जो न केवल शिवजी को प्रसन्न करती है, बल्कि भक्तों में शुद्धता और आस्था का संचार करती है।

देवी पार्वती का तप और श्रावण का महत्व

एक अन्य मान्यता के अनुसार, देवी पार्वती ने शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए इसी सावन मास में कठिन तपस्या की थी। उनकी भक्ति और कठोर साधना से प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें स्वीकार किया। इस कथा से यह स्पष्ट होता है कि श्रावण मास नारी शक्ति की श्रद्धा, समर्पण और संयम का प्रतीक भी है।

प्राकृतिक सौंदर्य और अध्यात्म का मेल

श्रावण मास में प्रकृति भी अपनी विशेष छटा बिखेरती है। पेड़-पौधे हरे-भरे हो जाते हैं, नदियाँ भर जाती हैं और आकाश से अमृत जैसी वर्षा होती है। यह सब मिलकर ऐसा वातावरण रचते हैं जिसमें शिव भक्ति सहज रूप से विकसित होती है।

इस महीने विशेष रूप से सोमवार का महत्व अधिक होता है। भक्त व्रत रखते हैं, शिव मंदिरों में रुद्राभिषेक होता है और “ॐ नमः शिवाय” का जप वातावरण को शिवमय बना देता है।

श्रावण मास केवल एक धार्मिक अवसर नहीं, बल्कि यह भक्ति, प्रकृति, संतुलन और ऊर्जा का अद्भुत संगम है। यह वह समय है जब व्यक्ति बाहरी दुनिया की चकाचौंध से हटकर अपने भीतर के शिव से जुड़ता है। 11 जुलाई से आरंभ हो रहा यह पावन महीना सभी के जीवन में शांति, भक्ति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करे – यही कामना।

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