ज्ञान और कौशल को जोड़ने की दिशा में बड़ा कदम, UPRTOU और फिजिक्सवाला ने मिलाया हाथ
UPRTOU और फिजिक्सवाला ने रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रमों के विकास हेतु नई शिक्षा नीति पर गहन विचार-विमर्श किया

आनंदी मेल ब्यूरो
प्रयागराज : उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय (UPRTOU) ने अपने शिक्षार्थियों को ज्ञान के साथ-साथ व्यावसायिक कौशल से लैस करने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की है। मंगलवार को विश्वविद्यालय परिसर में कुलपति प्रोफेसर सत्यकाम की अध्यक्षता में देश की अग्रणी ऑनलाइन एजुकेशन कंपनी फिजिक्सवाला के साथ एक विचार मंथन बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक का उद्देश्य नई शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रमों के निर्माण पर चर्चा करना रहा।
बैठक में दोनों संस्थाओं के प्रतिनिधियों के बीच गहन विमर्श हुआ, जिसमें यह सहमति बनी कि आने वाले समय में ऐसे पाठ्यक्रम विकसित किए जाएं जो न केवल ज्ञानवर्धक हों, बल्कि युवाओं को व्यावसायिक दक्षता भी प्रदान करें। कुलपति प्रो. सत्यकाम ने कहा, “अब समय की मांग है कि हम शिक्षा को कौशल से जोड़ें। यह बैठक इसी दिशा में एक निर्णायक कदम है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय इस दिशा में लगातार पहल कर रहा है ताकि विद्यार्थियों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार किया जा सके।
बैठक में विश्वविद्यालय की ओर से कुलसचिव कर्नल विनय कुमार, सीका निदेशक प्रो. आशुतोष गुप्ता, प्रवेश प्रभारी प्रो. जे.पी. यादव, और प्रो. ए.के. मलिक उपस्थित थे। वहीं फिजिक्सवाला की ओर से कविता सिंह (मुंबई), सोनवीर सिंह (नई दिल्ली) और संदीप शुक्ला (प्रयागराज) ने भाग लिया।
फिजिक्सवाला की टीम ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि कैसे वे तकनीक आधारित शिक्षा के माध्यम से लाखों छात्रों को गुणवत्तापूर्ण ऑनलाइन शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। इस सहयोग के माध्यम से वे अब ओपन और डिस्टेंस लर्निंग से जुड़े छात्रों को भी लाभान्वित करना चाहते हैं।
बैठक में यह भी चर्चा हुई कि भविष्य में संयुक्त रूप से डिज़ाइन किए गए पाठ्यक्रमों को ऑनलाइन और हाइब्रिड मोड में पेश किया जा सकता है, जिससे छात्रों को लचीलापन और आधुनिकतम टूल्स से सीखने का अवसर मिलेगा।
UPRTOU और फिजिक्सवाला का यह संयुक्त प्रयास निश्चित रूप से प्रदेश के युवाओं के लिए शिक्षा और रोजगार के बीच की खाई को पाटने का कार्य करेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह सहयोग नई शिक्षा नीति के उद्देश्यों को जमीन पर उतारने की दिशा में एक सराहनीय कदम साबित हो सकता है।
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