कानपुर में हाजियों के सम्मान में इस्तेक़बालिया कार्यक्रम, दी गई नसीहतें और मुबारकबाद
कानपुर में हज से लौटे 250 हाजियों के लिए आयोजित हुआ इस्तेक़बालिया कार्यक्रम, दी गई इस्लामी ज़िंदगी की नसीहतें

कानपुर। तंजीम खुद्दाम आजमीन-ए-हज की जानिब से रविवार को ग़रीब नवाज़ मैरिज हॉल, बांसमंडी में हज 2025 से लौटे हाजियों के सम्मान में एक भव्य इस्तेक़बालिया कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में लगभग 250 हाजियों — जिनमें पुरुष और महिलाएं दोनों शामिल थे — ने शिरकत की।
प्रोग्राम की शुरुआत क़ारी मोहम्मद फैजान ने कुरआन पाक की तिलावत से की, जिससे महफ़िल में रूहानियत का माहौल बना। इसके पश्चात मुफ़्ती हिफजुर्रहमान साहब ने हाजियों को संबोधित करते हुए कहा कि हज के बाद केवल नाम के 'हाजी' न बनें, बल्कि इस्लामी उसूलों के मुताबिक अपनी ज़िंदगी को ढालें। उन्होंने कहा कि एक हाजी की ज़िंदगी और उसका अख़लाक दूसरों के लिए प्रेरणा (इबरत) होना चाहिए।
मुफ़्ती साहब ने आगे कहा कि हज के दौरान आपने उन मुक़ामात को देखा है जिनकी तलब में लोग सारी उम्र गुज़ार देते हैं। अब आपकी जिम्मेदारी है कि आप अपने किरदार और आमाल में नज़रिया-ए-इस्लाम को अपनाएं और हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सुन्नतों को अपनी ज़िंदगी का हिस्सा बनाएं।
कार्यक्रम में प्रोफ़ेसर अब्दुल कबीर खान ने हाजियों द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब दिए और उन्हें हज की मुबारकबाद दी। इस अवसर पर सरदार अहमद खान और मोहम्मद हमीदुल्ला ने भी मंच से सभी हाजियों का स्वागत किया।
कार्यक्रम में हज ट्रेनर आतिफ सिद्दीकी, मोहम्मद तौसीफ़, शकील अहमद, मोहम्मद नूज़ैम, इमरान समेत कई अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे। सभी ने हाजियों को इस मुक़द्दस सफ़र की मुबारकबाद दी और इस्लामी समाज के निर्माण में उनकी भूमिका पर जोर दिया।
इस इस्तेक़बालिया कार्यक्रम के ज़रिये न केवल हाजियों को सम्मान मिला, बल्कि उन्हें इस्लामी उसूलों पर चलने की प्रेरणा भी दी गई, जिससे यह आयोजन सामाजिक और धार्मिक दोनों ही दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण साबित हुआ।
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