बोलीविया में स्वास्थ्य आपातकाल के बीच भारत ने भेजी 3 लाख वैक्सीन की खेप
बोलीविया में खसरा और रूबेला के प्रकोप के चलते घोषित स्वास्थ्य आपातकाल के बीच भारत ने तीन लाख वैक्सीन और चिकित्सा सामग्री भेजकर ग्लोबल साउथ देशों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
नई दिल्ली। भारत ने एक बार फिर वैश्विक मानवता की मिसाल पेश करते हुए दक्षिण अमेरिका के देश बोलीविया को गंभीर स्वास्थ्य संकट से उबरने में सहयोग दिया है। खसरा और रूबेला जैसी जानलेवा बीमारियों से पीड़ित बोलीविया में राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकाल की घोषणा के बाद भारत ने 3 लाख टीकों और आवश्यक चिकित्सा सामग्री की आपातकालीन खेप रवाना की है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर जानकारी देते हुए बताया कि भारत ने बोलीविया को इस कठिन समय में साथ देने के लिए टीकों और सहायक स्वास्थ्य सामग्री की आपूर्ति की है। उन्होंने कहा, “भारत वैश्विक दक्षिण के अपने मित्र देशों के साथ खड़ा है। यह समर्थन केवल एक मानवीय कर्तव्य ही नहीं, बल्कि भारत की वैश्विक भूमिका को भी रेखांकित करता है।”
बता दें कि हाल के हफ्तों में बोलीविया के कई क्षेत्रों में खसरे के मामलों में चिंताजनक वृद्धि हुई है, जिससे वहां की स्वास्थ्य प्रणाली पर भारी दबाव पड़ा है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए बोलीविया की सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया है। ऐसे में भारत से मिली सहायता वहां के नागरिकों के लिए संजीवनी साबित हो सकती है।
भारत ने पिछले कुछ वर्षों में ग्लोबल साउथ—अर्थात विकासशील और संसाधन-विहीन देशों—के लिए एक जिम्मेदार भागीदार के रूप में अपनी भूमिका निभाई है। चाहे अफ्रीका हो या प्रशांत द्वीप समूह, भारत समय-समय पर स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी ढांचे में सहायता प्रदान करता रहा है।
हाल ही में भारत ने अफ्रीकी देश जिबूती को 20 हेमोडायलिसिस मशीनें और एक रिवर्स ऑस्मोसिस संयंत्र प्रदान किया था, जिससे वहां की स्वास्थ्य सेवाएं सशक्त हुईं। इसी प्रकार सोलोमन द्वीप समूह के राष्ट्रीय रेफरल अस्पताल को डायलिसिस मशीनें दी गईं और साओ टोमे एवं प्रिंसिपे को स्कूल बसों की सौगात दी गई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया नामीबिया दौरे में भी ग्लोबल साउथ के साथ सहयोग को प्राथमिकता दी गई। दोनों देशों ने एमओयू साइन किए, जिनमें उद्यमिता विकास केंद्र और स्वास्थ्य क्षेत्र में साझेदारी शामिल है। भारत ने नामीबिया को नए उद्योगों की स्थापना और स्वास्थ्य तंत्र के सुदृढ़ीकरण में सहयोग देने का आश्वासन दिया है।
भारत की यह नीति केवल विदेश नीति का विस्तार नहीं है, बल्कि यह "वसुधैव कुटुम्बकम्" के उस दर्शन को दर्शाती है, जिसमें पूरी दुनिया को एक परिवार माना जाता है।
भारत का यह कदम न केवल बोलीविया जैसे देशों को राहत देता है, बल्कि वैश्विक स्तर पर एक भरोसेमंद और उत्तरदायी सहयोगी के रूप में भारत की छवि को भी मजबूत करता है।
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