अम्बेडकरनगर में ‘मध्यस्थता अभियान’ को सफल बनाने के लिए विशेष बैठक आयोजित

मध्यस्थता अभियान की सफलता के लिए अम्बेडकरनगर न्यायालय परिसर में रणनीतिक बैठक, आपसी विवादों के समाधान पर जोर।

Jul 9, 2025 - 20:59
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अम्बेडकरनगर में ‘मध्यस्थता अभियान’ को सफल बनाने के लिए विशेष बैठक आयोजित

अम्बेडकरनगर। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली एवं सर्वोच्च न्यायालय की मीडिएशन एंड कंसिलिएशन प्रोजेक्ट कमेटी के संयुक्त तत्वावधान में एक जुलाई से 30 सितंबर 2025 तक चलाए जा रहे "मध्यस्थता अभियान" को प्रभावी रूप से संचालित करने के लिए मंगलवार को जिला न्यायालय परिसर में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई।

इस विशेष बैठक की अध्यक्षता अपर जिला न्यायाधीश एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव भैरव सिंह प्रताप ने की। बैठक एमडीआर भवन में संपन्न हुई, जिसमें मध्यस्थता केंद्र में कार्यरत अधिवक्ताओं सहित विधिक सेवा प्राधिकरण से जुड़े अधिकारियों ने भाग लिया। बैठक का मुख्य उद्देश्य था — अभियान के दौरान विवादों के त्वरित और सहज निस्तारण के लिए ठोस रणनीति तैयार करना।

अपर जिला न्यायाधीश भैरव सिंह प्रताप ने कहा कि "मध्यस्थता प्रक्रिया के माध्यम से न केवल न्यायिक प्रणाली पर बोझ कम किया जा सकता है, बल्कि आम जनता को त्वरित, सहज और निःशुल्क न्याय भी उपलब्ध कराया जा सकता है।" उन्होंने बताया कि अभियान के दौरान विशेष रूप से निम्नलिखित प्रकार के मामलों को प्राथमिकता दी जाएगी:

आपसी पारिवारिक विवाद

संपत्ति का बंटवारा

घरेलू हिंसा

चेक बाउंस केस

सड़क दुर्घटना मुआवजा

उपभोक्ता विवाद

श्रम एवं सेवा विवाद

बैंक ऋण वसूली

आपराधिक समझौतायोग्य मामले

उन्होंने बताया कि इन सभी मामलों का निस्तारण बिना किसी कोर्ट फीस के किया जाएगा और दोनों पक्षों की सहमति से निर्णय लिया जाएगा। मध्यस्थता केंद्र में विशेष प्रशिक्षित अधिवक्ताओं की टीम मामलों को संभालेगी, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि न्याय सिर्फ सुलभ ही नहीं, बल्कि समयबद्ध भी हो।

बैठक में उपस्थित अधिवक्ताओं और अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि वे न्यायालयों में लंबित ऐसे मामलों की पहचान कर उन्हें मध्यस्थता के लिए प्रेरित करें। साथ ही आम नागरिकों को अभियान के बारे में जागरूक करने के लिए प्रचार-प्रसार भी किया जाए।

जिला न्यायालय परिसर में आयोजित यह बैठक "वैकल्पिक विवाद समाधान" (ADR) की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है, जो न केवल मुकदमों की संख्या कम करेगा बल्कि समाज में सुलह-संपर्क की संस्कृति को भी बढ़ावा देगा।

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