अधिवक्ताओं की सुरक्षा के लिए उपमुख्यमंत्री से की गई पेंशन व स्वास्थ्य बीमा की मांग
अधिवक्ताओं ने उपमुख्यमंत्री से पेंशन और स्वास्थ्य बीमा योजना लागू करने की मांग की, बुजुर्ग अधिवक्ताओं की समस्याएं उजागर।

कानपुर : अधिवक्ताओं ने अपनी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को लागू कराने के लिए उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक से एक कार्यक्रम में मुलाकात की। इस अवसर पर पं रवीन्द्र शर्मा, पूर्व अध्यक्ष लायर्स एसोसिएशन, ने एक मांग पत्र प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि न्यायालय के अधिकारी अधिवक्ताओं के लिए पेंशन योजना की अनुपस्थिति के कारण 80-85 वर्ष के बुजुर्ग अधिवक्ताओं को जीविकोपार्जन हेतु कार्य करने को मजबूर हैं।
पं रवीन्द्र शर्मा ने कहा, "कानूनी पेशे में काम करने वाले कई अधिवक्ता अपनी आयु के अंतिम चरणों में हैं, और उनकी आर्थिक स्थिति काफी कमजोर है।" इसका परिणाम यह है कि बुजुर्ग अधिवक्ताओं को सम्मानपूर्वक जीवन यापन के लिए लगातार मेहनत करनी पड़ रही है। इसके साथ ही, उन्होंने स्वास्थ्य बीमा का मुद्दा भी उठाया। उनका कहना था कि स्वास्थ्य बीमा योजना की कमी के कारण अधिवक्ताओं और उनके परिवारों को बेहतर इलाज की सुविधा नहीं मिल पा रही है।
उन्होंने उपमुख्यमंत्री से अधिवक्ता स्वास्थ्य बीमा योजना लागू करने की अपील की, जिसमें अधिवक्ता और उनके परिवारों को आयुष्मान योजना से जोड़ा जाए या बेहतर इलाज की सुविधा प्रदान करने के लिए रु 5,00,000 की निशुल्क स्वास्थ्य बीमा योजना लागू की जाए। इसके साथ ही, उन्होंने बुजुर्ग और वरिष्ठ अधिवक्ताओं के लिए पेंशन योजना की मांग की, जिसके तहत रिटायरमेंट के समय इन्हें प्रति माह 15,000 रुपये की पेंशन मिल सके।
पं रवीन्द्र शर्मा ने झारखंड का उदाहरण देते हुए बताया कि यह राज्य अधिवक्ता पेंशन योजना और अधिवक्ता स्वास्थ्य बीमा योजना लागू करने वाला पहला राज्य बन चुका है। उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार से भी इसी दिशा में कदम उठाने की अपील की।
कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने अधिवक्ताओं की समस्याओं को ध्यान से सुना और सहानुभूति पूर्वक विचार करने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा, "आपकी चिंताएं बिल्कुल उचित हैं, और हम इस पर गंभीरता से विचार करेंगे।"
इस कार्यक्रम में प्रमुख रूप से अरविन्द दीक्षित, अभिनव तिवारी, संजीव कपूर, शिवम गंगवार, शुभम जोशी, इंद्रेश मिश्रा, और वीर जोशी भी उपस्थित थे। अधिवक्ताओं के बीच उनकी समस्याओं और उनकी चिंताओं को लेकर एकजुटता दिखाई दी।
इस प्रकार के कार्यक्रमों से यह स्पष्ट होता है कि अधिवक्ता अपनी आवाज को उठाने के लिए प्रयासरत हैं और उनकी मांगों पर ध्यान दिया जाना आवश्यक है। यदि उपमुख्यमंत्री और संबंधित अधिकारी इस दिशा में सकारात्मक निर्णय लेते हैं, तो यह अधिवक्ता समुदाय के लिए एक बड़ा सुधार साबित होगा।
करियर में आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए अधिवक्ताओं को सामाजिक सुरक्षा तंत्र की आवश्यकता है, और यह सुनिश्चित करना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।
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