अंबेडकरनगर के सरकारी आईटीआई कॉलेजों में शिक्षकों की भारी कमी
अंबेडकरनगर के चार राजकीय आईटीआई कॉलेजों में शिक्षकों की भारी कमी, दो हजार छात्रों का भविष्य अधर में।

अंबेडकरनगर। जिले में तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए स्थापित चार राजकीय आईटीआई कॉलेज इस समय शिक्षकों की भारी कमी से जूझ रहे हैं। अकबरपुर, टांडा, जहांगीरगंज और बसखारी स्थित इन संस्थानों में करीब 2000 छात्र-छात्राएं भविष्य संवारने के इरादे से दाखिला ले चुके हैं, लेकिन इन्हें गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण देने के लिए पर्याप्त शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं।
सबसे गंभीर स्थिति राजकीय आईटीआई अकबरपुर की है, जहां 28 स्वीकृत पदों में से 21 पद रिक्त हैं और केवल 7 शिक्षक ही छात्रों की पढ़ाई और प्रयोगात्मक प्रशिक्षण को संभालने की कोशिश कर रहे हैं। अन्य तीन कॉलेजों में भी स्थिति बेहद चिंताजनक है।
आईटीआई में चल रहे प्रमुख ट्रेड जैसे -
इलेक्ट्रीशियन (विद्युतकार)
ड्राफ्ट्समैन मैकेनिक
रेफ्रिजरेशन और एयर कंडीशनिंग
वेल्डर (गैस एवं इलेक्ट्रॉनिक)
कोपा (कंप्यूटर ऑपरेटर एंड प्रोग्रामिंग असिस्टेंट)
फैशन डिजाइनिंग
— इन सभी में प्रशिक्षण अधूरा रह जा रहा है।
हैरानी की बात यह है कि कॉलेजों में उपकरणों और लैब सुविधाओं की कोई कमी नहीं है। छात्रों को प्रशिक्षण देने के लिए सारी भौतिक सुविधाएं उपलब्ध हैं, लेकिन योग्य शिक्षकों की अनुपलब्धता पूरे तंत्र को बेकार कर रही है।
राजकीय आईटीआई अकबरपुर के प्रधानाचार्य संदीप सक्सेना ने बताया कि "रिक्त पदों की पूर्ति के लिए विभाग को कई बार पत्र भेजे गए हैं, लेकिन अब तक किसी प्रकार की नियुक्ति नहीं की गई है। छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन संसाधनों की कमी के कारण गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।"
तकनीकी शिक्षा के जरिए रोजगार पाने की आस लगाए युवा अब निराशा में हैं। जिले में जहां युवाओं को रोजगार योग्य बनाने की उम्मीद थी, वहीं अब यह संकट उन्हें पीछे धकेल सकता है। शिक्षा विभाग व तकनीकी शिक्षा निदेशालय की उदासीनता पर अब प्रश्नचिन्ह लग रहा है।
छात्रों और अभिभावकों की मांग है कि शीघ्र ही खाली पदों पर नियुक्ति की जाए ताकि तकनीकी शिक्षा के उद्देश्यों की पूर्ति हो सके और युवाओं का भविष्य सुरक्षित रह सके।
अब देखना होगा कि शासन-प्रशासन कब जागता है और कब छात्रों को उनके शैक्षणिक अधिकार और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मुहैया कराई जाती है।
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