शिक्षक संघ का आक्रोश: वादों को न निभाने पर बढ़ा विरोध

शिक्षकों की स्थानांतरण प्रक्रिया में देरी से आक्रोश, उपेक्षा के आरोप, शिक्षकों का बड़ा प्रदर्शन तय।

Jul 31, 2025 - 20:39
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शिक्षक संघ का आक्रोश: वादों को न निभाने पर बढ़ा विरोध
शिक्षक संघ का आक्रोश: वादों को न निभाने पर बढ़ा विरोध

प्रयागराज : उत्तर प्रदेश में माध्यमिक शिक्षकों में आक्रोश का एक नया अध्याय खुल गया है। शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने आरोप लगाया है कि अपर शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) अपनी ही कही बातों से मुकर रहे हैं। शिक्षकों का कहना है कि पिछले महीने दिए गए आश्वासन को बाद में पूरा नहीं किया गया, जिससे उनके स्थानांतरण की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न हुई है।

प्रदेश के शिक्षक संघ के संरक्षक डा. हरि प्रकाश यादव के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल ने अपर शिक्षा निदेशक से मिलकर अपनी शिकायत दर्ज कराई है। प्रतिनिधि मंडल ने 31 जुलाई तक ऑफलाइन स्थानांतरण न होने पर अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा। यादव ने कहा, “यह बेहद निराशाजनक है कि अधिकारी बातों से मुकर रहे हैं और शिक्षकों की समस्याओं का समाधान नहीं कर रहे हैं।”

17 जुलाई को लखनऊ के शिविर कार्यालय पर आयोजित धरना प्रदर्शन में अपर शिक्षा निदेशक ने स्पष्ट आश्वासन दिया था कि 31 जुलाई तक ऑफलाइन स्थानांतरण का निस्तारण हो जाएगा। लेकिन अब तक कोई आदेश नहीं मिलने से शिक्षकों में गहरा असंतोष व्याप्त है। डा. यादव ने कहा, “इस मुद्दे को बढ़ाने के लिए आगामी 6 अगस्त को सभी जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालयों पर धरना दिया जाएगा। अगर उसके बाद भी स्थानांतरण आदेश निर्गत नहीं हुए, तो हम 11 अगस्त से माध्यमिक शिक्षा निदेशालय पर अनवरत धरना देने के लिए मजबूर होंगे।”

प्रतिनिधि मंडल में प्रदेशीय उपाध्यक्ष उपेंद्र वर्मा, प्रदेश संगठन मंत्री सुरेश पासी, प्रदेश आय व्यय निरीक्षक सुरेन्द्र प्रताप सिंह सहित कई अन्य शिक्षकों ने हिस्सा लिया। सभी ने एक स्वर में यह स्पष्ट किया कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो संगठन का प्रदर्शन और भी तेज होगा।

शिक्षकों का कहना है कि लंबे समय से वे स्थानांतरण की प्रक्रिया का इंतजार कर रहे हैं और अधिकारियों की लापरवाही से उनका कामकाज प्रभावित हो रहा है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि शिक्षकों की आवाज को अनसुना किया जा रहा है, जो कि एक स्वस्थ शिक्षण वातावरण के लिए उचित नहीं है।

संगठन प्रदेशभर के शिक्षकों को एकजुट करने के लिए प्रयासरत है और अगर अधिकारियों ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो उनका आक्रोश और भी बढ़ सकता है। यह मुद्दा केवल शिक्षकों का नहीं है, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में सुधार और प्रशासनिक व्यवस्था की ताकतवर आवाज भी है।

समय रहते अधिकारियों को शिक्षकों की समस्याओं का समाधान करने की आवश्यकता है, अन्यथा यह स्थिति और भी गंभीर हो सकती है, जो न केवल शिक्षकों के लिए, बल्कि उन्हें पढ़ाने वाले छात्रों के लिए भी नुकसानदेह साबित होगी।

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