संगीतमयी श्री साईकथा से गूंजा कानपुर, गुरु पूर्णिमा पर श्रद्धा और भक्ति का संगम
कानपुर में गुरु पूर्णिमा पर साईकथा वाचक शुभम बहल की संगीतमयी साईकथा, पादुका पूजन कर मांगी राष्ट्र की समृद्धि

कानपुर। गुरु पूर्णिमा और गुरुवार के दुर्लभ संयोग पर वासुदेव साई विश्व सेवा संस्थान द्वारा कानपुर के आर्यनगर स्थित मैंजेस क्लब में संगीतमयी श्री साईकथा का भव्य आयोजन किया गया। कथा वाचक प्रख्यात संत श्री शुभम बहल जी महाराज की भावपूर्ण वाणी से सजी यह कथा श्रद्धा, भक्ति और भावनाओं से ओतप्रोत रही।
इस दिव्य आयोजन में न केवल कानपुर बल्कि दिल्ली और गुजरात से भी बड़ी संख्या में साईभक्त शामिल हुए। हर किसी की आंखों में श्रद्धा और कानों में भक्ति का रस छलक रहा था।
कथा के दौरान श्री शुभम बहल जी ने श्रोताओं को साईं बाबा की करुणामयी लीलाओं से अवगत कराते हुए बताया कि शिरडी के साईनाथ सिर्फ अपने भक्तों पर ही नहीं, बल्कि उन लोगों पर भी कृपा करते हैं जो उन्हें नहीं मानते। उन्होंने कहा कि बाबा दयासागर हैं और उनका जीवन संदेश देता है कि प्रेम, सेवा और त्याग ही सच्ची भक्ति है।
उन्होंने श्रोताओं को बताया कि साईनाथ ने शिरडी में अनेक मंदिरों का स्वयं जीर्णोद्धार किया था, और उनके विरुद्ध अनर्गल बोलने वाले भी अंततः उनके चरणों में झुक गए।
श्री बहल ने विशेष रूप से इस बात पर प्रकाश डाला कि चाहे शिरडी हो या विदेश में बने साई मंदिर, सभी स्थानों पर वैदिक सनातन परंपरा के अनुसार पूजा-अर्चना की जाती है। यह बाबा की उस सार्वभौमिक स्वीकार्यता का प्रमाण है जो धर्म और संप्रदाय की सीमाओं से परे है।
कथा से पूर्व, श्री बहल जी ने शिरडी से अभिमंत्रित पावन श्री साईनाथ की पादुकाओं का पंचोपचार विधि से पूजन किया। इस पावन क्षण में वरिष्ठ पुरोहितों संग मिलकर उन्होंने राष्ट्र की सुरक्षा, समृद्धि और जनकल्याण की प्रार्थना की।
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर श्री बहल ने कहा, “जीव के लिए गुरु की उपस्थिति सबसे बड़ा वरदान है। गुरु का सानिध्य जीवन की कठिन राहों को भी सरल बना देता है।”
इस दिव्य आयोजन में सुमंगला शुक्ला, आशीष शर्मा, गीता पांडे, मंजू बागला, दीपा वातवानी, सुरेश शुक्ला और विनोद बहल सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे और साईकथा का रसपान किया।
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