महामना मालवीय: भारतीय संस्कृति व शिक्षा के अमर दीप – आरिफ मोहम्मद खान
महामना मालवीय के विचारों पर संगोष्ठी में बोले आरिफ मोहम्मद खान, भारतीय संस्कृति व शिक्षा चेतना को बताया अमूल्य

प्रयागराज। पंडित मदनमोहन मालवीय की बहुआयामी विरासत और उनके सांस्कृतिक-शैक्षिक योगदान को समर्पित एक प्रेरणास्पद वैचारिक संगोष्ठी एवं सम्मान समारोह का आयोजन ठाकुर हरनारायण सिंह ग्रुप ऑफ कॉलेज एवं सरोकार कृति संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य महामना के जीवन दर्शन को जनमानस तक पहुंचाना और नई पीढ़ी को भारतीय संस्कृति के प्रति सजग बनाना रहा।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने दीप प्रज्वलन कर आयोजन का शुभारंभ किया। उन्होंने पंडित मदनमोहन मालवीय को भारतीय संस्कृति और शैक्षिक चेतना का संवाहक बताया। उन्होंने कहा कि मालवीय जी का जीवन अनुकरणीय है – वह जो ठान लेते थे, उसे पूर्ण कर दिखाते थे। उनके प्रयासों से भारत की सांस्कृतिक चेतना जाग्रत हुई और स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा मिली। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय संस्कृति का मूल मंत्र 'वसुधैव कुटुम्बकम्' संपूर्ण विश्व को जीवन दर्शन प्रदान करता है और हमें इस पर गर्व करना चाहिए।
राज्यपाल ने ज़ोर दिया कि भारतीय संस्कृति केवल पूजा-पाठ नहीं, बल्कि सेवा, शांति और समरसता का दर्शन है, जो मानव सेवा को माधव सेवा मानता है। उन्होंने कहा कि आज के समय में पंडित मालवीय के विचारों को आत्मसात करना बेहद आवश्यक है।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने मालवीय जी को नवयुग का निर्माता बताते हुए कहा कि उन्होंने शिक्षा को संस्कार और साधना से जोड़ा। उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय को ब्रह्मविद्या और सर्वविद्या की राजधानी के रूप में स्थापित कर युवाओं के लिए मार्ग प्रशस्त किया।
इस अवसर पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रो. चितरंजन कुमार, प्रो. धनंजय चोपड़ा और प्रयागराज के महापौर गणेश केसरवानी ने भी मालवीय जी के विचारों को आज के समाज के लिए प्रासंगिक बताया।
कार्यक्रम में राज्यपाल ने 'कुंभ संकलन' पुस्तिका का विमोचन किया और संगीत क्षेत्र के कलाकारों को 'महा संगीत सेवा सम्मान' से सम्मानित किया गया।
कॉलेज के निदेशक डॉ. उदय प्रताप सिंह ने महामना की शिक्षण परंपरा को आगे बढ़ाने का संकल्प लेते हुए राज्यपाल को 'महा शिक्षा स्मृति चिन्ह' भेंट किया।
संगोष्ठी के संयोजक सरोकार कृति संस्थान के संस्थापक कमल किशोर रहे, जबकि मंच संचालन उत्कर्ष मालवीय ने किया। कार्यक्रम में अभिषेक ठाकुर, राजेश केसरवानी, अभिलाष केसरवानी, कृति संस्था के पदाधिकारी व कॉलेज के शिक्षकगण उपस्थित रहे।
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