हैलेट अस्पताल में 'आवारा' साम्राज्य: मरीज बेसहारा, प्रबंधन बेखबर
कानपुर के हैलेट अस्पताल में आवारा कुत्तों के आतंक और एक्स-रे फिल्म की कमी से मरीज परेशान हैं।

(संजय शुक्ला)
कानपुर : कानपुर का लाला लाजपत राय चिकित्सालय (हैलेट), जिसे शहर का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल माना जाता है, इन दिनों मरीजों की जान बचाने के बजाय उनके लिए खतरा बनता जा रहा है। अस्पताल परिसर और वार्डों में आवारा कुत्तों का बेरोकटोक घूमना और महत्वपूर्ण मेडिकल उपकरणों की कमी, मरीजों और उनके तीमारदारों के लिए एक गंभीर समस्या बन गई है।
हाल ही में, श्याम नगर की एक बच्ची वैष्णवी को कुत्ते के काटने के बाद जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया, जिसकी प्लास्टिक सर्जरी का खर्च स्वयं मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला उठा रहे हैं। यह एक सकारात्मक कदम है, लेकिन हैलेट अस्पताल में स्थिति इसके विपरीत है। अस्पताल की ओपीडी से लेकर जच्चा-बच्चा अस्पताल तक, हर जगह आवारा कुत्ते आराम फरमाते और घूमते देखे जा सकते हैं।
मरीजों और उनके साथ आए लोगों को इन आवारा कुत्तों के हमलों का डर हमेशा बना रहता है। यह आश्चर्यजनक है कि अस्पताल के वरिष्ठ अधिकारी नियमित रूप से राउंड पर होते हैं, फिर भी उन्हें यह खतरनाक स्थिति दिखाई नहीं देती। न तो हाउसकीपिंग स्टाफ और न ही अस्पताल प्रशासन इस समस्या पर ध्यान दे रहा है, जिससे ये आवारा कुत्ते अस्पताल के लगभग हर कोने में अपना डेरा जमाए हुए हैं।
यह स्थिति केवल आवारा कुत्तों तक ही सीमित नहीं है। अस्पताल की अव्यवस्था का एक और उदाहरण एक्स-रे विभाग में देखने को मिला। बुधवार को एक्स-रे फिल्म खत्म होने से कई मरीजों को बिना जांच के लौटना पड़ा। विभाग के कर्मचारियों ने बताया कि बजट न मिलने के कारण नई फिल्मों की खरीद नहीं हो पाई है, जिससे मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कुछ मरीजों को मोबाइल पर एक्स-रे की फोटो खींचकर काम चलाना पड़ रहा है, जो कि चिकित्सा मानकों के अनुरूप नहीं है और इससे सही निदान में बाधा आ सकती है।
ये दोनों ही मुद्दे, अस्पताल प्रशासन की लापरवाही को दर्शाते हैं। एक तरफ जहां आवारा कुत्ते मरीजों की सुरक्षा के लिए खतरा बने हुए हैं, वहीं दूसरी तरफ एक्स-रे जैसी मूलभूत सुविधा का न होना मरीजों को और अधिक कठिनाई में डाल रहा है। यह स्थिति न केवल मरीजों के इलाज में बाधा डाल रही है, बल्कि अस्पताल की प्रतिष्ठा पर भी सवाल खड़े कर रही है। यह आवश्यक है कि संबंधित अधिकारी इस गंभीर समस्या पर तुरंत ध्यान दें और उचित कदम उठाएं ताकि हैलेट अस्पताल फिर से मरीजों के लिए एक सुरक्षित और विश्वसनीय चिकित्सा केंद्र बन सके।
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