हिंदी मानकीकरण में इलाहाबाद विश्वविद्यालय की ऐतिहासिक भूमिका: डॉ. अमृता
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हिंदी मानकीकरण पर डॉ. अमृता का व्याख्यान, लेखा में हिंदी उपयोग पर अजय सिंह का मार्गदर्शन।

आनंदी मेल ब्यूरो,
प्रयागराज। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के राजभाषा अनुभाग द्वारा आयोजित पांच दिवसीय बेसिक प्रशिक्षण कार्यक्रम के तीसरे दिन हिंदी भाषा को लेकर गहन चर्चा और विश्लेषण हुआ। कार्यक्रम के पहले सत्र में हिंदी विभाग की सहायक आचार्य डॉ. अमृता ने ‘हिंदी का मानकीकरण’ विषय पर व्याख्यान देते हुए इलाहाबाद विश्वविद्यालय की ऐतिहासिक भूमिका पर प्रकाश डाला।
डॉ. अमृता ने कहा कि हिंदी को एक मानक भाषा के रूप में स्थापित करने में इलाहाबाद विश्वविद्यालय का बहुमूल्य योगदान रहा है। डॉ. धीरेन्द्र वर्मा, उदय नारायण तिवारी, हरदेव बाहरी और रामसिंह तोमर जैसे विद्वानों ने हिंदी के विकास और प्रसार में अद्वितीय कार्य किया, जिससे हिंदी को उसका वर्तमान स्वरूप मिला। उन्होंने नागरी प्रचारिणी सभा और तकनीकी शब्दावली आयोग जैसी संस्थाओं के योगदान को भी रेखांकित किया।
डॉ. अमृता ने हिंदी की लिपियों की विशेषताओं पर भी प्रकाश डाला और बताया कि डिजिटल युग में हिंदी कैसे तकनीकी रूप से उन्नत हो रही है। उन्होंने यूनिकोड टाइपिंग, वर्तनी की शुद्धता और संप्रेषणीयता को लेकर उपयोगी सुझाव दिए। साथ ही यह प्रस्ताव रखा कि शहर के पेंटरों के लिए विश्वविद्यालय एक कार्यशाला आयोजित करे, ताकि वे बोर्ड व साइनबोर्ड्स पर शुद्ध हिंदी लेखन के लिए प्रशिक्षित हो सकें।
"हिंदी से संकोच नहीं, गर्व करें" — अजय सिंह
कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में विश्वविद्यालय के सहायक कुलसचिव (लेखा) अजय सिंह ने ‘लेखा प्रबंधन और हिंदी’ विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि निरंतर अभ्यास और कार्य के माध्यम से हिंदी में दक्षता बढ़ाई जा सकती है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि हिंदी को लेकर किसी प्रकार की हीनता नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यह भारत की आत्मा को जोड़ने वाली भाषा है।
अजय सिंह ने कहा कि अभिव्यक्ति की दृष्टि से हिंदी अत्यंत सक्षम और समृद्ध भाषा है। उन्होंने लेखा विभाग की कार्यप्रणाली से जुड़े दस्तावेजों—जैसे टिप्पणियों, पत्रों, अंकेक्षण, निविदा दस्तावेज़, व आय-व्यय फाइलों—में हिंदी के प्रयोग और उसकी सूक्ष्मताओं पर विस्तृत जानकारी दी।
कार्यक्रम के दोनों सत्रों का संचालन राजभाषा कार्यान्वयन समिति के संयोजक प्रो. कुमार वीरेंद्र ने किया। उन्होंने विषय विशेषज्ञों का स्वागत करते हुए नई पीढ़ी के लिए हिंदी की बदलती भूमिका पर संक्षिप्त वक्तव्य दिया। कार्यक्रम में हिंदी अधिकारी प्रवीण श्रीवास्तव, हिंदी अनुवादक हरिओम कुमार सहित अनेक प्रतिभागी उपस्थित रहे। धन्यवाद ज्ञापन निधि चौधरी और रितेश वर्मा ने संयुक्त रूप से प्रस्तुत किया।
यह प्रशिक्षण कार्यक्रम हिंदी भाषा के मानकीकरण और उसके प्रशासनिक प्रयोग की दिशा में एक सशक्त पहल सिद्ध हुआ।
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