मेहनत और लगन का परिणाम: श्वेता पाठक ने एफएमजीई में मारी बाजी
अंबेडकर नगर की श्वेता पाठक ने कठिन एफएमजीई परीक्षा पास कर अपने क्षेत्र का नाम रोशन किया, अपनी सफलता का श्रेय दादी और गुरुजनों को देते हुए।

अंबेडकर नगर: जिले के पूर्वी नाका शहजादपुर, पाठक कॉलोनी की रहने वाली श्वेता पाठक ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि सच्ची लगन और मेहनत से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। उन्होंने विदेशी मेडिकल ग्रेजुएटों के लिए आयोजित होने वाली बेहद कठिन एफएमजीई (Foreign Medical Graduate Examination) परीक्षा को शानदार अंकों के साथ पास कर पूरे क्षेत्र का नाम रोशन किया है। श्वेता, स्वर्गीय श्री शिवपूजन पाठक की पौत्री हैं और उनकी यह सफलता युवाओं के लिए एक बड़ी प्रेरणा बनकर उभरी है।
अपनी सफलता के बाद श्वेता ने कहा, "कभी मत सोचो कि रास्ता कठिन है, बस इतना सोचो कि मंज़िल तुम्हारा इंतजार कर रही है।" उन्होंने बताया कि इस परीक्षा की तैयारी के दौरान कई बार असफलता और निराशा का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने इसे सीखने का मौका समझा। उनके लिए यह सिर्फ एक परीक्षा नहीं, बल्कि खुद पर विश्वास जीतने की एक लंबी यात्रा थी।
श्वेता ने अपनी सफलता का श्रेय अपनी दादी और गुरुजनों को दिया। उन्होंने भावुक होकर बताया, "जब भी मैं थक जाती थी, मेरी दादी के शब्द और गुरुजनों का आशीर्वाद मुझे आगे बढ़ने की ताकत देते थे।" यह दिखाता है कि एक छात्र की सफलता के पीछे परिवार और शिक्षकों का कितना बड़ा योगदान होता है।
युवाओं को संदेश देते हुए श्वेता ने कहा, "किसी भी सपने को पूरा करने के लिए केवल मेहनत ही काफी नहीं है, बल्कि धैर्य और निरंतर प्रयास भी बहुत ज़रूरी हैं। आज मैं यहाँ हूँ, कल कोई और होगा। बस अपने आप पर यकीन रखो और काम करते रहो।"
श्वेता की इस उपलब्धि से उनके परिवार में खुशी का माहौल है। परिजनों ने मिठाई बांटकर अपनी खुशी का इजहार किया। सोशल मीडिया पर भी 'श्वेता पाठक' ट्रेंड करने लगीं, जहां लोग उन्हें उनकी मेहनत और सफलता के लिए बधाई दे रहे हैं।
अब श्वेता का अगला लक्ष्य अपने अर्जित ज्ञान और सेवाभाव का उपयोग समाज के उन जरूरतमंद लोगों की सेवा करने में है, जिन्हें वास्तव में चिकित्सीय सहायता की आवश्यकता है। उनकी यह सोच उनके पेशेवर जीवन के साथ-साथ उनके मानवीय मूल्यों को भी दर्शाती है। श्वेता की कहानी हमें सिखाती है कि सफलता केवल मेहनत से नहीं, बल्कि सही दिशा, दृढ़ निश्चय और अपनों के सहयोग से मिलती है।
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