प्रयागराज में गंगा-यमुना का रौद्र रूप: 2013 जैसे बाढ़ के हालात, राहत शिविरों में भी बदइंतजामी से जूझ रहे पीड़ित
प्रयागराज में गंगा-यमुना ने खतरे का निशान पार किया, जिससे लाखों लोग प्रभावित हुए। राहत शिविरों में भी भोजन-नाश्ते की कमी से पीड़ित परेशान हैं।

प्रशासन राहत और बचाव कार्यों में तेजी से जुटा हुआ है, लेकिन जलस्तर में लगातार हो रही वृद्धि स्थिति को और भी चुनौतीपूर्ण बना रही है। रविवार शाम 4 बजे तक गंगा का जलस्तर फाफामऊ में 85.77 मीटर और छतनाग गंगा घाट पर 85.05 मीटर दर्ज किया गया, जो दोनों स्थानों पर खतरे के निशान से ऊपर है। इसी तरह यमुना नदी का जलस्तर नैनी में 85.78 मीटर पर रिकॉर्ड किया गया। इन नदियों के अलावा, टोंस, ससुरखदेरी और अन्य सहायक नदियां भी उफान पर हैं, जिससे बाढ़ का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार, इस बाढ़ की वजह से करीब 61 गांव और मोहल्ले सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं। शहर में भी चार दर्जन से अधिक मोहल्ले पूरी तरह से पानी से घिर गए हैं, और करीब एक लाख परिवारों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। एक तरफ जहां लोग अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ राहत शिविरों में भी उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। शनिवार देर रात एक बांध में रिसाव की खबर से हड़कंप मच गया था, जिसे बालू की बोरियां डालकर बचाने की कोशिश की गई।
राहत शिविरों में बदइंतजामी, भोजन और नाश्ते को तरस रहे पीड़ित
बाढ़ की दोहरी मार झेल रहे पीड़ितों को राहत शिविरों में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। महबूब अली इंटर कॉलेज, सेंट जोसेफ गर्ल्स विंग और एनी बेसेंट स्कूल जैसे शिविरों में शरण लिए लोगों ने खाने-पीने की अव्यवस्था की शिकायत की है। महबूब अली इंटर कॉलेज में 250 से अधिक शरणार्थियों को सुबह का नाश्ता नहीं मिला, वहीं भोजन भी शाम 5 बजे तक पहुंचा। खाने की गुणवत्ता भी सवालों के घेरे में है।
इस बदइंतजामी को लेकर प्रशासन हरकत में आया है। एसडीएम सदर अभिषेक सिंह ने भोजन और नाश्ता सप्लाई करने वाली एजेंसी को दो नोटिस जारी किए हैं। उन्होंने एजेंसी बदलने की भी तैयारी की है। अन्य शिविरों से भी इसी तरह की शिकायतें मिली हैं, जहां भोजन समय पर नहीं पहुंच रहा है। शिविरों का निरीक्षण करने पहुंची एडीएम वित्त एवं राजस्व विनीता सिंह ने देरी का कारण शरणार्थियों की लगातार बढ़ती संख्या को बताया। उन्होंने कहा कि इसी कारण खाना पहुंचने में देर हो रही है।
इसके अलावा, एनी बेसेंट स्कूल में पहुंची मेडिकल टीम को लेकर भी शिकायत दर्ज की गई। नोडल अधिकारी ने इस मामले में पूरी रिपोर्ट मांगी है और संबंधित प्रभारी चिकित्सक को चेतावनी भी दी है। यह पूरा घटनाक्रम इस बात की ओर इशारा करता है कि जहां एक ओर प्राकृतिक आपदा कहर बरपा रही है, वहीं दूसरी ओर राहत कार्य प्रबंधन में भी खामियां हैं, जिसका सीधा खामियाजा बाढ़ पीड़ित परिवारों को भुगतना पड़ रहा है। रविवार शाम से नदियों के स्थिर होने की उम्मीद जरूर है, लेकिन राहत और बचाव कार्यों को सुव्यवस्थित करने की चुनौती अभी भी बनी हुई है।
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