राजकीय संप्रेक्षण गृहों के बच्चों और महिलाओं को दिखाई गई प्रेरणादायक फिल्म
प्रयागराज में संप्रेक्षण गृहों के बच्चों-महिलाओं को दिखाया गया 'जुरासिक वर्ल्ड', न्यायिक सेवा की प्रेरक पहल

प्रयागराज : सामाजिक पुनर्वास और मानवीय संवेदनाओं को केंद्र में रखते हुए प्रयागराज में एक अनूठी पहल देखने को मिली, जहां राजकीय संप्रेक्षण गृहों में रह रहे बच्चों और महिलाओं को मनोरंजन और मानसिक प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से एक फिल्म दिखाई गई।
यह आयोजन उच्च न्यायालय इलाहाबाद के न्यायमूर्ति अजय भनोट के निर्देशानुसार तथा जनपद न्यायाधीश एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण प्रयागराज के अध्यक्ष संजीव कुमार के मार्गदर्शन में किया गया। इस कार्यक्रम में प्रयागराज स्थित पीवीआर सिनेमा में प्रातः 9:00 बजे "जुरासिक वर्ल्ड" फिल्म का विशेष प्रदर्शन आयोजित किया गया, जिसमें दर्जनों बालक, बालिकाएं और महिलाएं शामिल हुईं।
कार्यक्रम के समन्वय की जिम्मेदारी जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव दिनेश कुमार गौतम ने निभाई, जिन्होंने जिला प्रोबेशन अधिकारी सरबजीत सिंह के साथ मिलकर आयोजन को सफलतापूर्वक संपन्न कराया।
इस विशेष फिल्म प्रदर्शन में इनर व्हील क्लब इलाहाबाद और समाजसेवी संजीव अग्रवाल का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा। उनकी ओर से सभी प्रतिभागियों को निःशुल्क पॉपकॉर्न, कोल्ड ड्रिंक और स्वल्पाहार प्रदान किया गया, जिससे बच्चों और महिलाओं के चेहरे पर मुस्कान खिल उठी।
फिल्म प्रदर्शन के बाद उपस्थित सभी बालक-बालिकाएं और महिलाएं अत्यंत प्रसन्न और उत्साहित नजर आए। यह अनुभव उनके मानसिक विकास और सामाजिक पुनःएकीकरण की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास सिद्ध हुआ।
इस अवसर पर शहर के प्रमुख न्यायिक अधिकारी भी मौजूद रहे, जिनमें अपर जिला जज मनराज सिंह, राहुल सिंह, रविकांत द्वितीय, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट त्रिशा मिश्रा, रेलवे मजिस्ट्रेट विनय कुमार जायसवाल और मजिस्ट्रेट दिग्विजय सिंह शामिल थे। इनके अतिरिक्त संप्रेक्षण गृहों के अधीक्षक एवं कर्मचारीगण भी उपस्थित रहे।
यह पहल न केवल बच्चों और महिलाओं के लिए एक मनोरंजक अवसर था, बल्कि यह संदेश भी था कि समाज में हर व्यक्ति को गरिमा और आनंदपूर्ण जीवन जीने का अधिकार है।
इस प्रेरणादायक कार्यक्रम की जानकारी जिला विधिक सेवा प्राधिकरण प्रयागराज के सचिव दिनेश कुमार गौतम ने साझा की। उन्होंने इस प्रकार की और पहलों को भविष्य में भी जारी रखने की बात कही।
इस आयोजन से यह स्पष्ट होता है कि मनोरंजन केवल विलासिता नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक समावेशन का भी माध्यम हो सकता है। ऐसे कार्यक्रम समाज के उपेक्षित वर्गों को मुख्यधारा में जोड़ने की दिशा में मील का पत्थर साबित होते हैं।
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