प्रयागराज में पुस्तकालय विज्ञान के जनक डॉ. रंगनाथन की जयंती मनाई गई, उनके योगदानों को किया गया याद
प्रयागराज में पुस्तकालय विज्ञान के जनक डॉ. एस. आर. रंगनाथन की जयंती मनाई गई, उनके योगदानों को याद किया गया।

कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर मंजुलता द्वारा डॉ. रंगनाथन के चित्र पर माल्यार्पण से हुआ। इसके बाद, पुस्तकालयाध्यक्ष अजय मिश्र ने श्रोताओं को डॉ. रंगनाथन के जीवन और उनके कार्यों से विस्तार से परिचित कराया। उन्होंने बताया कि किस तरह डॉ. रंगनाथन ने पुस्तकालय विज्ञान के क्षेत्र में एक नई क्रांति ला दी। उनके द्वारा दिए गए 'पुस्तकालय विज्ञान के पांच सूत्र' आज भी इस क्षेत्र के लिए मील का पत्थर साबित होते हैं। इन सूत्रों में "पुस्तकें उपयोग के लिए हैं," "प्रत्येक पाठक को उसकी पुस्तक मिले," "प्रत्येक पुस्तक को उसका पाठक मिले," "पाठक का समय बचाएं," और "पुस्तकालय एक वर्धनशील संस्था है," जैसे मौलिक सिद्धांत शामिल हैं।
प्राचार्य प्रो. मंजुलता ने अपने संबोधन में पुस्तकों और पुस्तकालयों के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि "विद्यार्थी का सबसे बड़ा साथी उसकी पुस्तकें होती हैं।" उन्होंने छात्रों को पुस्तकालय का अधिक से अधिक उपयोग करने और अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने यह भी कहा कि डॉ. रंगनाथन ने पुस्तकालय को केवल किताबों का संग्रह नहीं, बल्कि ज्ञान का एक जीवंत केंद्र बनाने का सपना देखा था। प्राचार्य ने महाविद्यालय के पुस्तकालय के विकास में पुस्तकालयाध्यक्ष अजय मिश्र द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना भी की।
इस कार्यक्रम में डॉ. भास्कर शुक्ल, डॉ. गिरिजेश शुक्ल, डॉ. अमित मिश्र, ऋषि प्रताप सिंह और रामबाबू सहित महाविद्यालय के अन्य प्राध्यापक और कर्मचारी गण उपस्थित रहे। सभी ने डॉ. रंगनाथन के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके बताए रास्ते पर चलने का प्रण लिया। यह जयंती समारोह न केवल डॉ. रंगनाथन को श्रद्धांजलि थी, बल्कि यह छात्रों को ज्ञान के महत्व और पुस्तकालयों की भूमिका से परिचित कराने का भी एक महत्वपूर्ण अवसर था।
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