मेदांता लखनऊ में जले हुए मरीजों के लिए उम्मीद की लौ
मेदांता लखनऊ ने प्लास्टिक सर्जरी सप्ताह में पोस्ट-बर्न मरीजों के लिए नि:शुल्क ओपीडी और जागरूकता अभियान चलाया।

लखनऊ। मेदांता हॉस्पिटल लखनऊ ने 15 से 21 जुलाई तक ‘प्लास्टिक सर्जरी सप्ताह’ के अवसर पर एक विशेष जन-जागरूकता अभियान चलाया, जिसमें पोस्ट-बर्न डिफॉर्मिटी से पीड़ित मरीज़ों के लिए नि:शुल्क ओपीडी की सुविधा दी गई। इस पहल ने जहां सैकड़ों लोगों को राहत दी, वहीं प्लास्टिक सर्जरी के सामाजिक महत्व को भी रेखांकित किया।
इस सप्ताह भर चले आयोजन के दौरान बड़ी संख्या में ऐसे मरीज सामने आए जो जलने के पुराने घावों, विकृति और उनसे जुड़ी मानसिक पीड़ा से जूझ रहे थे। मेदांता लखनऊ के डायरेक्टर, प्लास्टिक, एस्थेटिक एंड रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी, डॉ. निखिल पुरी ने व्यक्तिगत रूप से इन मरीजों की जांच की और उनकी समस्याओं पर विस्तार से चर्चा की।
डॉ. निखिल पुरी ने बताया, "पोस्ट-बर्न डिफॉर्मिटी केवल बाहरी समस्या नहीं होती, बल्कि यह व्यक्ति की आत्मछवि और आत्मविश्वास को भी गहरा आघात पहुंचाती है। हमारी कोशिश रही कि इस सप्ताह के माध्यम से हम लोगों को यह समझा सकें कि प्लास्टिक सर्जरी केवल सुंदरता के लिए नहीं, बल्कि सामान्य जीवन की वापसी के लिए जरूरी है।"
इस नि:शुल्क परामर्श अभियान में मरीजों ने न सिर्फ अपने इलाज की संभावनाओं पर विशेषज्ञों से बातचीत की, बल्कि कई ने आगे की सर्जरी हेतु योजना भी बनाई। अस्पताल की ओर से यह भी आश्वासन दिया गया कि गंभीर मामलों में किफायती या रियायती इलाज के विकल्पों पर विचार किया जाएगा।
इस प्रयास को मरीज़ों और उनके परिजनों से जबरदस्त सराहना मिली। कई लोगों ने इसे अपने जीवन की "नई शुरुआत" बताया। एक महिला मरीज, जो कई वर्षों से जले हुए हाथ के कारण घर से बाहर निकलने से झिझकती थीं, उन्होंने कहा, "अब लग रहा है कि मैं फिर से सामान्य जिंदगी जी सकती हूं।"
मेदांता लखनऊ प्रशासन ने यह भी घोषणा की कि भविष्य में ऐसे जागरूकता अभियानों की आवृत्ति और बढ़ाई जाएगी ताकि अधिक से अधिक जरूरतमंद लोग प्लास्टिक और रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी की उपयोगिता से परिचित हो सकें।
यह कार्यक्रम न केवल मेडिकल सेवा का प्रतीक बना, बल्कि एक मानवीय संदेश भी दे गया – हर जख्म भर सकता है, अगर सही समय पर संवेदनशीलता और विज्ञान का साथ मिले।
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