भारतीय रेलवे संस्थान में दिव्यांगजनों की संवेदनशीलता बढ़ाने हेतु कार्यशाला, समावेशिता पर जोर
दिव्यांगजनों की चुनौतियों और समावेशी शिक्षा पर IRITM लखनऊ में कार्यशाला का आयोजन, विशेषज्ञों ने दिए उपयोगी सुझाव।

लखनऊ। भारतीय रेलवे परिवहन प्रबंधन संस्थान (IRITM), लखनऊ में दिव्यांगजनों की सामाजिक समावेशिता और उनके अधिकारों के प्रति कर्मचारियों और प्रशिक्षुओं को संवेदनशील बनाने के उद्देश्य से एक विशेष संवेदीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला की अगुवाई दिव्यांगता एवं पुनर्वास के क्षेत्र में तीन दशक से अधिक का अनुभव रखने वाले प्रख्यात विशेषज्ञ डॉ. कौशल शर्मा ने की।
डॉ. कौशल शर्मा वर्तमान में डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय, लखनऊ में विशेष शिक्षा संकाय के डीन और श्रवण बाधित एवं बौद्धिक दिव्यांगता विभागों के विभागाध्यक्ष हैं। उन्होंने श्रवण बाधित व्यक्तियों की शिक्षा में विशेषज्ञता के साथ पीएच.डी. की है और लगातार दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण हेतु कार्यरत हैं।
कार्यशाला में डॉ. शर्मा ने दिव्यांगजनों के सामने आने वाली सामाजिक, भौतिक और मानसिक चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने समावेशिता, पहुंच-योग्यता और सहानुभूति को कार्यस्थलों और शैक्षणिक संस्थानों में अनिवार्य बनाने की आवश्यकता को रेखांकित किया। उनके अनुसार, दिव्यांगजनों के प्रति व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिए प्रशिक्षण और व्यावहारिक समझ जरूरी है।
इस अवसर पर IRITM के अपर महानिदेशक संजय त्रिपाठी ने भी संस्थान की ओर से प्रयासों को साझा किया। उन्होंने कहा कि यह कार्यशाला केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि संस्थान की ओर से दिव्यांगजनों के प्रति सहानुभूतिपूर्ण और समावेशी वातावरण तैयार करने की दिशा में एक सार्थक पहल है।
कार्यक्रम में IRITM के संकाय सदस्य, प्रशासनिक अधिकारी, विभिन्न विभागों के कर्मचारी एवं प्रशिक्षु बड़ी संख्या में शामिल हुए। सभी प्रतिभागियों ने कार्यशाला में विषयवस्तु को गहराई से आत्मसात किया और व्यवहारिक बदलाव के लिए प्रेरित हुए।
कार्यक्रम के समापन पर प्रोफेसर प्रगति कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि इस कार्यशाला ने सभी को एक नई सोच और दृष्टिकोण दिया है। उन्होंने वक्ता की अंतर्दृष्टियों और प्रतिभागियों की सहभागिता की सराहना की।
यह कार्यशाला न केवल जानकारीवर्धक रही, बल्कि कर्मचारियों और प्रशासनिक पदाधिकारियों के लिए दिव्यांगजनों के प्रति बेहतर दृष्टिकोण विकसित करने का अवसर भी बनी।
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