IIFL पर लगे 'बंधक बनाने' के आरोप पुलिस जांच में निकले बेबुनियाद

झाँसी में आईआईएफएल पर कर्जदार महिला को बंधक बनाने के आरोप पुलिस जाँच में गलत पाए गए, दोनों पक्षों ने आपसी सहमति से किया समझौता।

Aug 3, 2025 - 18:29
Aug 3, 2025 - 18:31
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IIFL पर लगे 'बंधक बनाने' के आरोप पुलिस जांच में निकले बेबुनियाद

झाँसी: उत्तर प्रदेश के जनपद झाँसी के मोठ थाना क्षेत्र में 28 जुलाई 2025 को एक सनसनीखेज मामला सामने आया था, जब एक महिला के पति ने एक निजी वित्तीय कंपनी IIFL पर गंभीर आरोप लगाए थे। रवीन्द्र वर्मा नामक व्यक्ति ने अपनी पत्नी पूजा वर्मा को बंधक बनाए जाने की शिकायत पुलिस के डायल 112 पर की थी। रवीन्द्र ने आरोप लगाया था कि उनकी पत्नी को कंपनी के कार्यालय में तब तक जबरन बैठाए रखा गया जब तक कि बकाया लोन की किश्तें जमा न हो जाएं।

इस आरोप के बाद, माइक्रोफाइनेंस असोसिएशन ऑफ उत्तर प्रदेश (UPMA) ने इस पूरे प्रकरण पर गहरी चिंता व्यक्त की और कंपनी की ओर से अपना पक्ष स्पष्ट किया। UPMA के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, सुधीर सिन्हा, ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर पुलिस अधीक्षक ग्रामीण, झाँसी, द्वारा दी गई जानकारी को सार्वजनिक किया। पुलिस जाँच में जो तथ्य सामने आए, वे रवीन्द्र वर्मा के आरोपों से बिल्कुल अलग थे।

पुलिस आख्या के अनुसार, महिला पूजा वर्मा ने आईआईएफएल से लोन लिया था और उसकी 11 किश्तों में से 9 किश्तें उसने स्वयं ही जमा की थीं। हालांकि, शेष दो किश्तें उसने गाँव के ही एक अन्य व्यक्ति धर्मेंद्र को जमा करने के लिए दी थीं, जिसने उन पैसों को कंपनी में जमा नहीं किया। इसी मामले को लेकर पूजा वर्मा 28 जुलाई को कंपनी के कार्यालय में गई थीं, जहाँ दोनों पक्षों के बीच किश्त जमा करने को लेकर बातचीत चल रही थी। पुलिस जाँच में यह स्पष्ट रूप से पाया गया कि महिला को जबरदस्ती या बंधक बनाकर कार्यालय में नहीं बैठाया गया था।

UPMA ने अपनी विज्ञप्ति में बताया कि पुलिस की गहन जाँच से यह साबित हो गया है कि कंपनी पर लगाए गए आरोप गलत और मनगढ़ंत थे। कंपनी के कर्मचारियों ने महिला को बंधक नहीं बनाया था, बल्कि वे उससे बातचीत कर रहे थे ताकि किश्त जमा न होने की असली वजह का पता लगाया जा सके। यह पूरा मामला सिर्फ एक गलतफहमी और एक तीसरे व्यक्ति की धोखाधड़ी के कारण पैदा हुआ था।

इस घटना के बाद, दोनों पक्षों ने आपसी सहमति से एक लिखित राजीनामा तैयार किया, जिसे मोठ थाने में प्रस्तुत किया गया है। दोनों के बीच सहमति बन जाने के बाद, अब मौके पर पूरी तरह से शांति है। इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि किसी भी आरोप पर तुरंत प्रतिक्रिया देने से पहले पूरी जाँच-पड़ताल करना कितना जरूरी होता है। साथ ही, इसने यह भी उजागर किया है कि ग्राहकों को सीधे कंपनी के कार्यालय में या उनके आधिकारिक ऐप के माध्यम से ही अपनी किश्तें जमा करनी चाहिए ताकि ऐसी धोखाधड़ी से बचा जा सके।

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