नौटंकी का वह नाम, जो बिना इंटरनेट के भी 'ट्रेंड' में रहा

द्विअर्थी संवादों से नौटंकी को नई पहचान देने वाले रंपत हरामी आज भी लोककला प्रेमियों की यादों में ज़िंदा हैं।

Jul 24, 2025 - 21:28
 0  1
नौटंकी का वह नाम, जो बिना इंटरनेट के भी 'ट्रेंड' में रहा
रंपत हरामी

वो दौर जब न सोशल मीडिया था, न यूट्यूब का बोलबाला और न ही मोबाइल में घूमती शॉर्ट्स और रील्स का जादू। फिर भी अगर कोई नाम उत्तर भारत के मेलों, बारातों और मुंडन जैसे आयोजनों में रात भर गूंजता था तो वह था— #रंपतहरामी

रंपत हरामी, असली नाम रमपत सिंह भदौरिया, उत्तर प्रदेश की पारंपरिक लोककला नौटंकी के वह चमकते सितारे थे, जिन्होंने द्विअर्थी संवादों के ज़रिए दर्शकों को हंसी, कटाक्ष और ठेठ देसी मनोरंजन का अद्वितीय मेल परोसा। उस समय उनके कैसेट्स लखनऊ से लेकर आसपास के जिलों तक हाथोंहाथ बिकते थे।

रंपत की लोकप्रियता का आलम यह था कि बुजुर्गों से लेकर युवा तक, हर आयु वर्ग के लोग उनकी नौटंकी देखने को रात-भर टकटकी लगाए रहते। ढोलक, मंजीरा और चटपटे संवादों के बीच रंपत का मंच पर उछलना और आंखों की मटकन लोगों के दिलों में आज भी ताज़ा है।

हालांकि, उनके द्विअर्थी संवादों को लेकर आलोचना भी होती रही, परंतु यही उनका स्टाइल था जिसने उन्हें बाकी नौटंकी कलाकारों से अलग पहचान दी। लोककला के मंच पर वह गद्य और पद्य को इस तरह पिरोते कि पूरी रात का शो दर्शकों के लिए किसी उत्सव से कम नहीं होता।

मई महीने में रंपत हरामी का निधन हो गया, लेकिन उनकी नौटंकियों की गूंज यूट्यूब पर आज भी सुनाई देती है। वह सिर्फ एक कलाकार नहीं, बल्कि उस दौर की सांस्कृतिक चेतना का हिस्सा थे, जब नौटंकी सिर्फ नाटक नहीं, जनमानस का मनोरंजन और विचार विमर्श का माध्यम थी।

रंपत हरामी के चाहने वालों के लिए, उनका काम सिर्फ एक नौटंकी नहीं, एक याद है — ऐसी याद जो मजीरे की थाप और सुरमे भरी आंखों के साथ समय में जिंदा रहती है।

What's Your Reaction?

Like Like 0
Dislike Dislike 0
Love Love 0
Funny Funny 0
Angry Angry 0
Sad Sad 0
Wow Wow 0