महंगाई-बेरोजगारी को लेकर सरकार पर साधा निशाना

प्रयागराज में विद्यालय समायोजन को लेकर कांग्रेस ने सौंपा ज्ञापन, अशफाक ने सरकार की नीतियों पर उठाए सवाल

महंगाई-बेरोजगारी को लेकर सरकार पर साधा निशाना
विद्यालय समायोजन पर कांग्रेस का विरोध

प्रयागराज। प्रयागराज के सोरांव तहसील में बुधवार को कांग्रेस पार्टी के गंगापार जिलाध्यक्ष अशफाक अहमद के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने उप जिलाधिकारी को महामहिम राज्यपाल उत्तर प्रदेश को संबोधित ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में प्रदेश के लगभग 5000 प्राथमिक एवं जूनियर विद्यालयों के समायोजन को लेकर गहरी चिंता जताई गई है। कांग्रेस ने इस कदम को शिक्षकों और छात्रों दोनों के हित में घातक बताया।

ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि सरकार द्वारा बिना व्यापक विचार-विमर्श के लिए गए इस निर्णय से न केवल शिक्षकों का भविष्य प्रभावित होगा, बल्कि छात्रों की शिक्षा पर भी विपरीत असर पड़ेगा। अशफाक अहमद ने इस मौके पर सरकार की जनविरोधी नीतियों पर खुलकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि शिक्षा व्यवस्था को व्यवस्थित करने के बजाय सरकार लगातार उसे कमजोर करने वाले फैसले ले रही है।

अशफाक अहमद ने कहा कि प्रदेश में बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी से आम जनता त्रस्त है, लेकिन सरकार के पास इन समस्याओं से निपटने की कोई ठोस योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि युवा बेरोजगारी से हताश हैं, छात्रों में भविष्य को लेकर असंतोष है और अभिभावक अपनी आर्थिक स्थिति को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने किसानों की स्थिति पर भी चिंता व्यक्त की और कहा कि उन्हें फसल का उचित समर्थन मूल्य नहीं मिल पा रहा, जिससे कृषि क्षेत्र संकट में है।

अशफाक ने कहा कि जब तक प्रदेश में भाजपा की सरकार है, तब तक जनता को राहत मिलने की कोई उम्मीद नहीं की जा सकती। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे कांग्रेस पार्टी से जुड़ें और एक मजबूत विकल्प के रूप में कांग्रेस को सत्ता में लाएं, तभी प्रदेश और देश का समुचित विकास संभव हो सकेगा।

इस विरोध कार्यक्रम में बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता और स्थानीय नागरिक मौजूद रहे। कार्यक्रम में मो. शमीम, शमशुल कमर, दिवाकर भारतीय, सुनील पांडे, राजेश पटेल, सुरेन्द्र यादव, मो. सद्दाम, कमलेश पटेल, अजय पटेल, अशोक गौतम, सलीम टाइगर, अंसार अली सोनू, संजय शुक्ला, शादाब अहमद, सुरेश पटेल, मो. फारूक, शिशिर गौतम, मो. कुददुस, सरिता सरोज, कुलदीप वैश्य, कल्लन भाई आदि प्रमुख रूप से शामिल रहे।

कांग्रेस का यह ज्ञापन न केवल शिक्षा व्यवस्था के सरलीकरण पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि मौजूदा सरकार की आर्थिक एवं सामाजिक नीतियों की आलोचना का भी संकेत देता है।