अमावा से उठी टीबी मुक्ति की लहर: एम्स और स्वास्थ्य विभाग की गाँव-गाँव पहल
एम्स रायबरेली और स्वास्थ्य विभाग ने अमावा में टीबी जागरूकता अभियान चलाकर गाँवों में चेतना की अलख जगाई

रायबरेली: जनपद रायबरेली के अमावा ब्लॉक में "टीबी हारेगा, देश जीतेगा" के नारे के साथ एक सशक्त जन-जागरूकता और सर्वेक्षण अभियान चलाया गया, जिसमें एम्स रायबरेली और जिला स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त सहभागिता रही। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. नवीन चंद्रा और जिला क्षयरोग अधिकारी के मार्गदर्शन में तथा सीएचसी अमावा अधीक्षक डॉ. रोहित कटियार की देखरेख में यह अभियान संचालित किया गया।
इस अभिनव पहल का नेतृत्व एम्स रायबरेली की मुख्य शोधकर्ता डॉ. हिमांशी शर्मा ने किया, जिनके साथ इंटर्न डॉक्टर आदर्श पांडेय और डॉ. अभिनव कटारिया ने सक्रिय सहयोग किया। अभियान की सबसे प्रभावशाली बात यह रही कि टीमें घर-घर जाकर न केवल टीबी के लक्षणों, जांच प्रक्रिया और सरकारी उपचार सुविधाओं की जानकारी दे रही थीं, बल्कि टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी (TPT) के महत्व को भी सरल भाषा में समझा रही थीं।
"टीबी पूरी तरह से इलाज योग्य है", यह संदेश प्रभावशाली ढंग से पहुंचाने का कार्य किया टीबी यूनिट अमावा के प्रभारी करुणा शंकर मिश्रा ने। उन्होंने ग्रामीणों को बताया:
"दो सप्ताह से अधिक खांसी, बुखार, वजन घटना, या भूख न लगना—ये लक्षण दिखते ही टीबी की जांच करवाएं। सरकार की ओर से मुफ्त इलाज और ₹1000 प्रति माह की पोषण सहायता भी मिलती है।"
उन्होंने “निक्षय मित्र” बनने की अपील करते हुए कहा कि समाज को चाहिए कि टीबी मरीजों को न्यूट्रिशन किट, फल, और मानसिक संबल देकर उनके स्वास्थ्य-सफर में साथ निभाए।
सामुदायिक सहभागिता बनी अभियान की जान
इस कार्यक्रम में कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर मिथिलेश और आशा कार्यकर्ता विमलेश, सावित्री, शांति मौर्य ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। गांवों में नुक्कड़ नाटक, चौपाल संवाद, पोस्टर, और जीवन्त नारों के माध्यम से संदेशों को प्रभावशाली ढंग से प्रसारित किया गया—
???? “दवा पूरी, टीबी दूरी”
???? “हर मरीज तक पहुंच—हमारी जिम्मेदारी”
???? “टीबी को हराना है, देश को जिताना है”
प्रशासन, विशेषज्ञता और सहभागिता—तीनों का मेल
इस अभियान ने सिद्ध किया कि जब प्रशासनिक नेतृत्व, चिकित्सकीय विशेषज्ञता, और सामुदायिक भागीदारी एकजुट होकर किसी मिशन में लगते हैं, तो परिणाम अवश्य मिलते हैं। करुणा शंकर मिश्रा की संवाद शैली और जमीनी जुड़ाव ने ग्रामीणों के बीच गहरी जागरूकता उत्पन्न की।
"टीबी मुक्त भारत" के सपने की ओर कदम
स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में चलाए जा रहे ऐसे ठोस अभियान ही 2025 तक टीबी मुक्त भारत के लक्ष्य को साकार करने में सहायक होंगे।
यह पहल न केवल एक स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम है, बल्कि एक जनभागीदारी आंदोलन बनकर उभरी है, जो आने वाले समय में देश के स्वास्थ्य परिदृश्य को बदलने की दिशा में बड़ा कदम साबित होगा।