लखनऊ में एसबीआई स्थापना दिवस का भव्य आयोजन
एसबीआई के 70वें स्थापना दिवस पर लखनऊ में भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम और उत्कृष्ट सेवा के संकल्प का उत्सव

आर एल पाण्डेय
लखनऊ : भारत के सबसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने अपने 70वें स्थापना दिवस को लखनऊ मण्डल द्वारा अटल बिहारी वाजपेयी कन्वेंशन सेंटर में विशेष उल्लास के साथ मनाया। यह समारोह न केवल बैंक की 70 वर्षों की शानदार यात्रा का उत्सव था, बल्कि इसमें बैंक के समर्पित कर्मचारियों और उनके परिवारों की कला और रचनात्मकता का भी जीवंत प्रदर्शन हुआ।
इस ऐतिहासिक अवसर पर एसबीआई लखनऊ मण्डल के मुख्य महाप्रबंधक श्री दीपक कुमार दे ने समारोह का शुभारंभ किया। उन्होंने मंच से उपस्थित सभी महाप्रबंधकों, उप महाप्रबंधकों, कर्मचारी संघों के पदाधिकारियों, कार्यरत और सेवानिवृत्त कर्मचारियों व उनके परिजनों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं।
श्री दे ने अपने स्वागत भाषण में भारतीय स्टेट बैंक की 219 वर्षों की गौरवशाली विरासत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि एसबीआई न केवल आर्थिक संरचना का मजबूत स्तंभ है, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी निभाने में भी अग्रणी है। उन्होंने बताया कि बैंक के साथ वर्तमान में 52 करोड़ से अधिक ग्राहक जुड़े हुए हैं, जो इसे दुनिया के सबसे भरोसेमंद बैंकों में से एक बनाते हैं। वर्ष 2025 में एसबीआई को विश्व का चौथा सबसे विश्वसनीय बैंक घोषित किया जाना, इसकी विश्वसनीयता और जनसेवा के प्रति प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
समारोह में कर्मचारियों द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने सभी का मन मोह लिया। लोक नृत्य, नाटक, कविताएं और संगीत प्रस्तुतियों में जहां परंपरा की झलक थी, वहीं आधुनिकता का संदेश भी साफ नजर आया। इस आयोजन में कर्मचारियों के परिवारों की भागीदारी ने इसे और भी आत्मीय बना दिया।
इस अवसर पर बैंक के डिजिटल मिशन की भी चर्चा हुई। श्री दे ने कहा कि एसबीआई न केवल पारंपरिक बैंकिंग में अग्रणी रहा है, बल्कि अब डिजिटल बैंकिंग को बढ़ावा देकर भारत को कैशलेस और पारदर्शी अर्थव्यवस्था की ओर अग्रसर कर रहा है। उन्होंने ग्राहकों को सुरक्षित, तेज और सुगम डिजिटल सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए बैंक के निरंतर प्रयासों को साझा किया।
समारोह का समापन सम्मान समारोह और स्मृति चिन्ह वितरण के साथ हुआ, जिसमें सेवानिवृत्त कर्मचारियों को विशेष सम्मान दिया गया। यह आयोजन एसबीआई की "ग्राहक सर्वोपरि" और "समर्पित सेवा" की भावना को उजागर करता है।