छठवीं मोहर्रम पर हज़रत अली असग़र के झूले की ज़ियारत
प्रयागराज में छठवीं मोहर्रम को निकले हज़रत अली असग़र के झूले के जुलूस में उमड़े अकीदतमंद, गूंजे नौहे

प्रयागराज। मोहर्रम की छठवीं तारीख पर प्रयागराज के रौशनबाग़ स्थित इमामबाड़ा स्वर्गीय मुस्तफा हुसैन से निकले हज़रत अली असग़र के झूले का ऐतिहासिक जुलूस ग़म, अकीदत और ऐहतेराम की मिसाल बन गया। देर रात निकले इस जुलूस में बड़ी संख्या में अकीदतमंदों ने भाग लिया और कर्बला की शहादत को याद करते हुए श्रद्धा-सम्मान प्रकट किया।
इस आयोजन की सरपरस्ती नागरिक सुरक्षा के पूर्व डिप्टी वार्डेन नासिर ज़ैदी और वर्तमान वार्डेन व आयोजक खुशनूद रिज़वी द्वारा की गई। जुलूस में हज़रत अली असग़र के झूले, हज़रत अली अकबर के प्रतीक ताबूत और दो बड़े अलम शामिल किए गए जिन्हें गुलाब और चमेली के फूलों से भव्य रूप से सजाया गया था।
जुलूस से पहले अज़ाखानों में मर्सिया और नौहा पढ़े गए। काज़िम अब्बास, अहमद जावेद 'कज्जन', ज़रग़ाम हैदर और ऐजाज़ हुसैन ने दर्द से भरे मर्सिए पेश किए, जबकि ज़ाकिरे अहलेबैत रज़ा अब्बास ज़ैदी ने हज़रत अली असग़र की मासूम शहादत का ग़मगीन तज़केरा किया जिसने वहां मौजूद हर शख्स को भावविभोर कर दिया।
इसके बाद अली अकबर के शबीहे ताबूत और हज़रत अली असग़र का झूला जुलूस की शक्ल में ज़ियारत के लिए निकाला गया। इस अवसर पर अंजुमन मोहाफिज़े अज़ा क़दीम दरियाबाद के प्रसिद्ध नौहाख्वान ग़ुलाम अब्बास नकवी और उनके साथियों ने पुरदर्द नौहे पढ़े, जो गली-गली में गूंजते रहे।
जुलूस का मार्ग रौशनबाग़, बख्शी बाज़ार, मस्जिद क़ाज़ी साहब से होते हुए क़ाज़ी गंज स्थित इमामबाड़ा फूटा दायरा तक निर्धारित रहा, जहां यह कार्यक्रम समाप्त हुआ। पूरे रास्ते में अकीदतमंद कतारबद्ध खड़े रहे और फूल बरसाकर, नौहा पढ़कर, झूले व ताबूत की ज़ियारत की।
इस धार्मिक जुलूस में नासिर ज़ैदी, खुशनूद रिज़वी, सैय्यद मोहम्मद अस्करी, पार्षद रमीज़ अहसन, ज़ाहिद भाई, शाने भाई, आसिफ रिज़वी, आमिर रिज़वी, अली रज़ा रिज़वी, वसीम असग़र, औन ज़ैदी, ज़ामिन हसन, शमीर ज़मन, शयान ज़मन, अमन जायसी, मुज्तबा हैदर 'क़दर', तारिक़, ज़हीन अब्बास और फ़रमान रिज़वी जैसे अनेक गणमान्य उपस्थित रहे।
छठवीं मोहर्रम का यह आयोजन न केवल धार्मिक भावना को जागृत करता है, बल्कि कर्बला के शहीदों की कुर्बानी को याद कर समाज में इंसानियत, सब्र और इंसाफ का संदेश भी देता है। झूले की ज़ियारत के दौरान अकीदतमंदों ने दुआ की कि इस्लाम का पैग़ाम हमेशा अमन, इंसाफ और भाईचारे की मिसाल बना रहे।