अहिल्याबाई की 300वीं जयंती पर राष्ट्रव्यापी आयोजन: प्रयागराज से लखनऊ तक तैयारियां जोरों पर
21 से 31 मई तक रानी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती पर देशभर में होंगे विविध कार्यक्रम और जन भागीदारी।

(जैनुल आब्दीन)
इस स्मृति अभियान की राज्य स्तरीय कार्यशाला 14 मई को लखनऊ स्थित इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में संपन्न हुई। इसमें प्रयागराज यमुनापार, गंगापार और महानगर सहित विभिन्न जिलों के अध्यक्ष, संयोजक, मीडिया प्रभारी, महिला मोर्चा अध्यक्ष और आईटी प्रमुखों ने भाग लिया। कार्यशाला में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी और संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह ने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया और मार्गदर्शन दिया।
इस अवसर पर रानी अहिल्याबाई होल्कर के ऐतिहासिक योगदान को स्मरण करते हुए बताया गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में उनकी प्रतिमा की स्थापना की थी। अहिल्याबाई ने काशी से लेकर सोमनाथ तक कई प्राचीन मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया था। उनके जीवन में आधुनिकता और प्राचीनता का जो संगम था, वह आज भी भारत के लिए प्रेरणा बना हुआ है।
भाजपा जिला मीडिया प्रभारी दिलीप कुमार चतुर्वेदी ने बताया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के निर्देश पर यह निर्णय लिया गया कि देश के सभी जिलों में 21 से 31 मई तक रानी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती वृहद स्तर पर मनाई जाएगी। इसके पूर्व, 9 मई को नई दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यशाला तथा 14 मई को लखनऊ में प्रदेश कार्यशाला आयोजित की गई। जिला स्तरीय योजनात्मक बैठक 17-18 मई को होगी।
इस अभियान के अंतर्गत निम्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे:
गोष्ठियाँ व संगोष्ठियाँ, जिनमें अहिल्याबाई के जीवन व कार्यों पर चर्चा होगी
नदियों के घाटों की सफाई अभियान
महिला सशक्तिकरण के लिए दौड़ व रैली
प्रदर्शनी और श्रद्धांजलि कार्यक्रम
महिला जनप्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी
ये कार्यक्रम केवल रानी अहिल्याबाई की स्मृति को सम्मानित करने के लिए नहीं, बल्कि समाज में सेवा और सशक्तिकरण के उनके मूल्यों को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से आयोजित किए जा रहे हैं।
लखनऊ कार्यशाला में काशी क्षेत्र के उपाध्यक्ष अवधेश चंद्र गुप्ता, यमुनापार जिला उपाध्यक्ष अशोक पांडेय, महिला मोर्चा अध्यक्ष सविता मिश्रा, प्रयागराज महानगर मीडिया प्रभारी राजेश केसरीवानी, आईटी संयोजक सतीश विश्वकर्मा सहित अनेक पदाधिकारी व कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
यह आयोजन न केवल ऐतिहासिक चेतना को पुनर्जीवित करेगा, बल्कि सामाजिक समरसता और सेवा की भावना को भी मजबूती प्रदान करेगा – जैसा कि रानी अहिल्याबाई होल्कर ने अपने शासनकाल में आदर्श रूप में प्रस्तुत किया था।