प्रयागराज में हास्य योग से गूंजा गंगा परिसर, टंडन विश्वविद्यालय में अनोखा योग अभ्यास

राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय में गंगा परिसर में आयोजित हास्य योग से कर्मचारियों और शिक्षकों को मिला तनावमुक्त अनुभव।

प्रयागराज में हास्य योग से गूंजा गंगा परिसर, टंडन विश्वविद्यालय में अनोखा योग अभ्यास
टंडन विश्वविद्यालय में अनोखा योग अभ्यास

प्रयागराज। उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 की पूर्व संध्या पर चल रहे सप्ताहिक योगाभ्यास कार्यक्रम के अंतर्गत गुरुवार को गंगा परिसर में हास्य योग का आयोजन किया गया। इस अनोखे आयोजन में कुलपति प्रो. सत्यकाम, श्रीमती सीमा सत्यकाम, विश्वविद्यालय के अधिकारी, शिक्षक एवं कर्मचारीगण शामिल हुए।

हास्य योग की शुरुआत एक शांतिपूर्ण वातावरण में हुई, जहां प्रतिभागियों ने समूह में हंसी की विभिन्न मुद्राएं अपनाकर न केवल खुद को तनावमुक्त किया, बल्कि आपसी संबंधों को भी मजबूत किया। योग विशेषज्ञ निकेत सिंह के मार्गदर्शन में यह सत्र संचालित हुआ, जिसमें सभी ने मिलकर हंसने, मुस्कराने और ठहाके लगाने की क्रियाओं में भाग लिया।

निकेत सिंह ने बताया कि हास्य योग एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण से लाभकारी अभ्यास है, जो मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है। “हंसी एक प्राकृतिक चिकित्सा है। यह शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह बढ़ाती है और मन को सकारात्मक ऊर्जा से भर देती है,” उन्होंने कहा।

कार्यक्रम के दौरान गूंजते ठहाकों ने गंगा परिसर को आनंद और उल्लास से भर दिया। कर्मचारियों और शिक्षकों ने बताया कि इस तरह का अभ्यास उन्हें मानसिक रूप से तरोताजा करता है और कार्यस्थल पर नई ऊर्जा के साथ वापसी का मार्ग प्रशस्त करता है।

इस अवसर पर कुलपति प्रो. सत्यकाम ने बताया कि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय योग के क्षेत्र में निरंतर नवाचार कर रहा है। उन्होंने कहा, “हमारा विश्वविद्यालय विगत एक सप्ताह से सतत योगाभ्यास कार्यक्रम संचालित कर रहा है, जो 21 जून 2025 को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस तक अनवरत जारी रहेगा।”

उन्होंने आगे बताया कि विश्वविद्यालय न केवल मुख्यालय स्तर पर बल्कि अपने सभी क्षेत्रीय केंद्रों और गोद लिए गांवों में भी 'एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य' थीम पर योग कार्यक्रम चला रहा है। यह पहल राजभवन के निर्देश पर शुरू की गई है, जिसके अंतर्गत विश्वविद्यालय कई अभिनव योजनाओं को मूर्त रूप दे रहा है।

प्रो. सत्यकाम ने सभी नागरिकों से आग्रह किया कि वे विश्वविद्यालय के इन योग कार्यक्रमों से जुड़ें और अपने जीवन में योग को अपनाकर बेहतर मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य की दिशा में कदम बढ़ाएं।

हास्य योग के इस आयोजन ने साबित कर दिया कि योग केवल शारीरिक व्यायाम तक सीमित नहीं, बल्कि यह मानसिक संतुलन और सामाजिक जुड़ाव का भी सशक्त माध्यम है। गंगा परिसर में गूंजती हंसी की यह लहर न केवल शरीर को बल्कि आत्मा को भी ताजगी से भर गई।