नदीम फर्रुख और विजयेंद्र करुण को सृजन सम्मान, श्रद्धांजलि सभा में बदला काव्य आयोजन
वरिष्ठ शायर नदीम फर्रुख और कवि विजयेंद्र करुण को सृजन सम्मान, समारोह श्रद्धांजलि सभा में बदला गया।

लखनऊ। यू.पी. प्रेस क्लब और उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 158वें सृजन सम्मान समारोह में वरिष्ठ शायर नदीम फर्रुख और आजमगढ़ के कवि विजयेंद्र करुण को उनके साहित्यिक योगदान के लिए सम्मानित किया गया। समारोह की गरिमा और रचनात्मकता दोनों ही भावपूर्ण वातावरण में झलकीं, लेकिन एक आकस्मिक घटना के कारण कार्यक्रम अंततः श्रद्धांजलि सभा में परिवर्तित हो गया।
इस समारोह में सृजन उर्दू सम्मान नदीम फर्रुख को और सृजन हिंदी सम्मान विजयेंद्र करुण को प्रदान किया गया। दोनों रचनाकारों को वरिष्ठ कवि सर्वेश अस्थाना, हसीब सिद्दीकी, उत्तर प्रदेश साहित्य सभा अध्यक्ष सच्चिदानंद शलभ, तथा भ्रमर बैसवारी द्वारा शॉल, प्रतीक चिन्ह व पुष्पहार से सम्मानित किया गया।
रश्मि शरद के संयोजन और वर्षा श्रीवास्तव के संचालन में इस सृजन समारोह का आयोजन हुआ, जिसमें अंकिता शुक्ला, श्वेता मनस्वी, सहित सम्मानित रचनाकारों ने अपनी-अपनी कविताओं से उपस्थित श्रोताओं को भावविभोर किया। नदीम फर्रुख की ग़ज़लों की गहराई और विजयेंद्र करुण की सामाजिक चेतना से युक्त कविताओं ने विशेष प्रभाव डाला।
कार्यक्रम के बीच ही एक शोकप्रद समाचार मिलने पर माहौल गंभीर हो गया। सृजन संस्था की सदस्या सरोजबाला सोनी जी के ज्येष्ठ पुत्र के असामयिक निधन पर मंच पर मौजूद सभी साहित्यप्रेमियों ने दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके उपरांत निर्णय लिया गया कि समारोह को वहीं रोक कर श्रद्धांजलि सभा के रूप में समापन किया जाए।
पद्मश्री कवि सुरेंद्र दुबे, ओजकवि सुरेश फक्कड़, लोककवि अबोध जी ने भी इस दुखद घड़ी में संवेदना प्रकट की और समारोह की स्थगन घोषणा के साथ आयोजकों को धन्यवाद दिया।
इस अवसर पर साहित्य व समाज से जुड़े कई प्रमुख व्यक्तित्व उपस्थित रहे जिनमें अरविंद झा, महेश गुप्त, प्रमोद श्रीवास्तव, निर्भय निश्छल, सिराज खान, श्याम किशोर वर्मा, पूजा श्रीवास्तव, खुशीराम बाजपेई, रविशंकर श्रीवास्तव रवि, अजय कुमार, गिरधर खरे, प्रेम शंकर बेताब, राजेश राज, अमित श्रीवास्तव, कुलदीप अन्तस्, प्रतिभा श्रीवास्तव, फरीद नकवी, अनुराग श्रीवास्तव, ज्ञानेंद्र नाथ त्रिवेदी, मनमोहन बरकोटी, वीणा वाणी वत्सल, अशोक यादव और सत्येंद्र सिंह प्रमुख रूप से शामिल रहे।
सृजन सम्मान समारोह जहां एक ओर साहित्यिक रचनात्मकता की मिसाल बना, वहीं इसने मानवीय संवेदना और एकजुटता का भी उदाहरण प्रस्तुत किया।