ग्राम पंचायतों में योग संगोष्ठी के साथ महिला सशक्तिकरण को मिली नई दिशा
जलालपुर की ग्राम पंचायतों में महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम के तहत योग संगोष्ठी का आयोजन, ग्रामीणों ने लिया भाग।

"योग अपनाएं, जीवन सुखमय बनाएं" की थीम पर आधारित इस संगोष्ठी में महिलाओं ने सक्रिय रूप से भाग लिया। इस पहल का उद्देश्य न केवल योग की उपयोगिता बताना था, बल्कि ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बनाना भी था।
कार्यक्रम में सामाजिक कार्यकर्ता रामहित जी ने योग की महत्ता पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा, “हमारे पूर्वज मेहनतकश जीवन जीते थे, जिसके कारण उनका शरीर निरोग रहता था। आज की सुविधाभोगी जीवनशैली ने हमें योग और शारीरिक श्रम से दूर कर दिया है, जिसका असर हमारे स्वास्थ्य पर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।”
उन्होंने बताया कि इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की थीम "एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य" है, जो हमें याद दिलाती है कि शरीर और प्रकृति दोनों का संतुलन ही समग्र स्वास्थ्य का आधार है।
परियोजना समन्वयक राम स्वरूप जी ने अपनी बात रखते हुए कहा, “योग केवल व्यायाम नहीं बल्कि अनुशासित जीवन जीने की कला है। कपालभाति, अनुलोम-विलोम, प्राणायाम जैसे योगासनों को रोजाना दिनचर्या में शामिल कर हम स्वयं को रोगमुक्त बना सकते हैं।”
संगोष्ठी के दौरान नारी संघ की सदस्याओं—हीरावती, लखराजी, सरोजा, अरुणलता, विद्या देवी, उदासी—ने प्रतिभागियों को योगाभ्यास कराया। बैठक के समापन पर सभी महिलाओं ने योग से जुड़ी प्रेरणादायक नारे लगाए जैसे—“हर दिन तन-मन को स्वस्थ बनाएं, योग अपनाएं रोग भगाएं”, और इस आदत को जीवन में अपनाने का संकल्प लिया।
इस अवसर पर सामुदायिक कार्यकर्त्री चाँदतारा और पुनीता सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण महिलाएं उपस्थित रहीं। महिलाओं ने न केवल योग के प्रति उत्साह दिखाया, बल्कि इसे अपनी नियमित दिनचर्या में शामिल करने की इच्छा भी जताई।
कार्यक्रम ने यह स्पष्ट कर दिया कि स्वास्थ्य और सशक्तिकरण का वास्तविक आधार जागरूकता है, और जब ग्रामीण महिलाएं जागरूक होती हैं, तो पूरा समाज स्वस्थ और मजबूत होता है।
जन शिक्षण केंद्र की यह पहल योग दिवस के बहाने महिलाओं को शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में एक अनुकरणीय प्रयास के रूप में सराही जा रही है।