नई शिक्षा नीति पर आधारित प्रो. पचौरी की दो नई पुस्तकें विमोचित
प्रो. पचौरी की नई शिक्षा नीति पर केंद्रित दो उपयोगी पुस्तकों का विमोचन कुलपति और प्राचार्या ने किया

प्रयागराज। कुलभास्कर आश्रम स्नातकोत्तर महाविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो. पवन कुमार पचौरी द्वारा रचित दो नई पुस्तकों — ‘योग: एक समग्र अध्ययन’ एवं ‘शरीर रचना विज्ञान एवं शरीर क्रिया विज्ञान’ — का विमोचन प्रो. राजेंद्र सिंह (रज्जू भैया) विश्वविद्यालय प्रयागराज के कुलपति डा. अखिलेश कुमार सिंह तथा महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. गीतांजलि मौर्य द्वारा विश्वविद्यालय के कुलपति कार्यालय में सम्पन्न हुआ।
यह दोनों पुस्तकें नई शिक्षा नीति 2020 को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई हैं। इनकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इन्हें सरल हिंदी भाषा में टंकित किया गया है, जिससे विद्यार्थीगण अधिक सहजता से पाठ्यवस्तु को समझ सकें। विमोचन अवसर पर शिक्षाविदों ने इन पुस्तकों को विद्यार्थियों के लिए अत्यंत उपयोगी बताया और प्रो. पचौरी की लेखनी की सराहना की।
प्रो. पचौरी इससे पूर्व भी शिक्षा, योग और शारीरिक शिक्षा विषयों पर 30 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित कर चुके हैं। साथ ही उनके 50 से अधिक शोध पत्र प्रतिष्ठित राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। उनके मार्गदर्शन में 7 शोधार्थियों ने पीएचडी, 32 विद्यार्थियों ने एम.फिल., और 54 विद्यार्थियों ने स्नातकोत्तर स्तर पर लघु शोध पूर्ण किया है।
प्रो. पचौरी को राष्ट्रीय स्तर पर शारीरिक शिक्षा, क्रीड़ा और योग में योगदान के लिए 25 से अधिक सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। वे रज्जू भैया विश्वविद्यालय की विद्या परिषद, परीक्षा समिति, और बोर्ड ऑफ स्टडी के संयोजक भी हैं। पूर्व में वे विश्वविद्यालय के क्रीड़ा सचिव के रूप में कार्य कर चुके हैं। वर्तमान में वे राजेंद्र सिंह विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालय शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष के पद पर कार्यरत हैं।
इस उपलब्धि पर विश्वविद्यालय के कुलपति, कुलसचिव और परीक्षा नियंत्रक सहित अनेक अधिकारियों और शिक्षकों ने उन्हें बधाई व शुभकामनाएं दी हैं। वहीं, महाविद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष चौधरी राघवेंद्रनाथ सिंह, वरिष्ठ उपाध्यक्ष चौधरी जितेंद्रनाथ सिंह, महामंत्री एडवोकेट एस.डी. कौटिल्य, उपाध्यक्ष डॉ. ए.के. श्रीवास्तव, वित्त उपाध्यक्ष राकेश कुमार खरे और अन्य सदस्यों ने भी प्रो. पचौरी की इस रचनात्मक उपलब्धि की सराहना की।
इन पुस्तकों का प्रकाशन शिक्षा जगत में एक सकारात्मक योगदान के रूप में देखा जा रहा है, जिससे छात्रों को नई शिक्षा नीति के अनुरूप सरल, सुलभ और उपयोगी ज्ञान प्राप्त हो सकेगा।