भारत को मिला पहला बौद्ध मुख्य न्यायाधीश: दलित संगठनों में जश्न की लहर

भारत को मिला पहला बौद्ध मुख्य न्यायाधीश: दलित संगठनों में जश्न की लहर
भारत को मिला पहला बौद्ध मुख्य न्यायाधीश: दलित संगठनों में जश्न की लहर

आनंदी मेल ब्यूरो, प्रयागराज | भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में 14 मई 2025 एक ऐतिहासिक दिन बन गया, जब जस्टिस बीआर गवई ने भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। उनके पदभार संभालते ही प्रयागराज सहित देशभर में दलित और बौद्ध संगठनों में हर्ष की लहर दौड़ गई। विशेष रूप से प्रयागराज के सामाजिक संगठनों—प्रबुद्ध फाउंडेशन, देवपती मेमोरियल ट्रस्ट, डॉ. अम्बेडकर वेलफेयर एसोसिएशन (दावा) आदि ने इस उपलब्धि को ऐतिहासिक और सामाजिक न्याय के संघर्ष की जीत बताया।

बीआर गवई के इस पद पर आसीन होने के साथ ही एक महत्वपूर्ण सामाजिक और ऐतिहासिक संदर्भ भी जुड़ गया। उनके पिता आरएस गवई, बिहार के पूर्व राज्यपाल, उन गिने-चुने व्यक्तियों में से थे जिन्होंने डॉ. भीमराव अंबेडकर के साथ 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर की दीक्षाभूमि में बौद्ध धर्म की दीक्षा ली थी। ऐसे में बीआर गवई का मुख्य न्यायाधीश बनना केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि भारतीय लोकतंत्र में समावेशी न्याय और समानता की दिशा में एक प्रगति का प्रतीक बन गया है।

प्रबुद्ध फाउंडेशन के सचिव और उच्च न्यायालय के अधिवक्ता आईपी रामबृज ने इसे एक ऐतिहासिक क्षण बताते हुए कहा कि जस्टिस गवई का यह ओहदा संविधान में आस्था रखने वालों के लिए गर्व का विषय है। इस अवसर पर प्रयागराज से गुलाब चमार, विजय सरोज, चांद मोहम्मद, अवधेश गौतम, अभय राज सिंह, कुमार सिद्धार्थ, बीआर दोहरे, बहादुर राम, रत्नाकर सिंह पटेल, राजेश यादव और अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बधाइयाँ दीं।

मीडिया से अनौपचारिक बातचीत में जस्टिस गवई ने न्यायपालिका की भूमिका पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, "देश पर संकट के समय न्यायपालिका भी समाज का हिस्सा होती है। हम पूरी तरह तटस्थ नहीं रह सकते—जहाँ ज़रूरत होगी, हम ज़रूर बोलेंगे।" उन्होंने पहलगाम हमले पर शोक व्यक्त किया और रूस-यूक्रेन युद्ध का ज़िक्र करते हुए युद्ध की निरर्थकता को रेखांकित किया, हालांकि यह भी स्वीकार किया कि कुछ परिस्थितियों में युद्ध अपरिहार्य हो जाते हैं।

हालाँकि बीआर गवई बौद्ध परंपरा से आते हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि वह सभी धर्मों के पूजा स्थलों का सम्मान करते हैं और हर स्थान पर श्रद्धा रखते हैं। यह उनकी धर्मनिरपेक्ष सोच और न्यायिक निष्पक्षता का परिचायक है।