"मराठा शाही थाली: लखनऊ में विरासत का स्वाद लौटाया ईशारा ने

लखनऊ: लखनऊ में इन दिनों एक अनूठा पाक अनुभव सामने आया है, जहाँ आधुनिक स्वादों के बीच अतीत की शाही खुशबू बह रही है। फीनिक्स पलासियो स्थित प्रख्यात रेस्टोरेंट ईशारा ने 16 मई से एक विशेष पाक महोत्सव की शुरुआत की है जिसका नाम है – "मराठा विरासत – साम्राज्य के स्वाद"। यह आयोजन ना केवल शाही मराठा खानपान का पुनर्जीवन है, बल्कि भारत की भूली-बिसरी सांस्कृतिक परंपराओं का एक जीवंत चित्रण भी है।
इस उत्सव को क्यूरेट किया है श्रीमती सोनल नाइक निंबालकर महुरकर ने, जिनका संबंध सीधे मराठा शाही वंश से है और जिनका उद्देश्य उन व्यंजनों को फिर से लोगों तक पहुँचाना है जो इतिहास में कहीं खो चुके थे। सोनल जी ने अपने अनुभव और पारिवारिक ज्ञान के आधार पर इस मेन्यू को तैयार किया है, जिसमें सदियों पुरानी रेसिपियाँ, पारंपरिक मसालों के संयोजन और विशेष पकाने की विधियाँ शामिल हैं।
ईशारा, जो बेलोना हॉस्पिटैलिटी द्वारा संचालित है, हमेशा से भारत के प्राचीन और दुर्लभ व्यंजनों को पुनर्जीवित करने के लिए जाना गया है। इससे पहले यह रेस्टोरेंट लखनऊ में 'अविभाजित पंजाब' के व्यंजनों को सामने ला चुका है, और अब 'मराठा विरासत' के माध्यम से एक और ऐतिहासिक स्वाद को जीवंत कर रहा है।
इस महोत्सव के तहत जो व्यंजन परोसे जा रहे हैं, वे मुख्यधारा के महाराष्ट्रीयन खाने से अलग हैं। इसमें सतारा, कोल्हापुर, नागपुर, इंदौर, सांगली, ग्वालियर, बड़ौदा, सावंतवाड़ी, और संडूर जैसे मराठा साम्राज्य के विभिन्न क्षेत्रों की पाक शैलियों को शामिल किया गया है।
खास बात यह है कि मेहमानों को सिर्फ भोजन ही नहीं, बल्कि प्राचीन रसोई उपकरणों, मसालों के पारंपरिक मिश्रणों, और मराठा शाही जीवन के पुरालेखीय चित्रों की प्रदर्शनी भी देखने को मिलेगी। यह अनुभव एक तरह से अतीत के साथ संवाद जैसा है – जहाँ स्वाद, दृष्टि और ज्ञान सभी मिलकर इतिहास को जीवंत करते हैं।
इस अवसर पर ईशारा के मैनेजिंग डायरेक्टर प्रशांत इस्सर ने कहा, “हमारा उद्देश्य है कि हम भारत की पाक परंपराओं को फिर से लोगों के सामने लाएँ, ताकि हर व्यंजन एक कहानी बन जाए। ‘मराठा विरासत’ के माध्यम से हम एक अनूठा अनुभव दे रहे हैं, जिसे लोग न केवल चखेंगे बल्कि महसूस भी करेंगे।”
लखनऊ जैसे सांस्कृतिक शहर में यह आयोजन न केवल खाने के शौकीनों के लिए विशेष है, बल्कि उन सभी के लिए भी जो भारतीय इतिहास और संस्कृति को स्वाद के ज़रिए महसूस करना चाहते हैं। ‘ईशारा’ की यह पहल आने वाले समय में भारतीय खानपान की विरासत को संरक्षित रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा सकती है।