अनूठा आविष्कार: बरेली के युवाओं ने बनाई पानी से चलने वाली ट्रेन
बरेली के छात्रों और एक युवा नवप्रवर्तक ने पानी से चलने वाली ट्रेन बनाकर विज्ञान में क्रांतिकारी कदम रखा।

इस अनूठे आविष्कार का पहला परीक्षण हाल ही में बरेली में सफलतापूर्वक किया गया। यह ट्रेन मॉडल केवल 250 मिलीलीटर पानी में 50 मीटर की दूरी तय करने में सक्षम है। हालांकि यह एक लघु संस्करण है, लेकिन यह नवाचार एक बड़ी क्रांति का संकेत देता है।
गोपाल, जिन्होंने B.Sc. की पढ़ाई पूरी की है और UPSC की परीक्षा भी दी है, इस परियोजना के मार्गदर्शक और तकनीकी नेतृत्वकर्ता रहे हैं। उनका कहना है, "हमारी सोच यह थी कि कुछ ऐसा किया जाए जो देश को आत्मनिर्भर बनाए और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार भी हो।"
टीम ने यह मॉडल स्थानीय संसाधनों और सीमित साधनों के साथ तैयार किया है। उनके अनुसार, यदि यह तकनीक बड़े स्तर पर सफल होती है, तो भारतीय रेलवे के भारी इंजनों जैसे WAP-1 और WAP-2 को भी पानी से चलाया जा सकेगा। इससे सरकार को प्रति वर्ष लगभग ₹8,000 करोड़ की बचत हो सकती है, जो ईंधन पर होने वाले खर्च को कम कर सकती है। यही नहीं, इस राशि का उपयोग रेलवे यात्री सुविधाओं को बेहतर बनाने में किया जा सकता है।
परियोजना को अब पेटेंट के लिए प्रस्तुत कर दिया गया है और जैसे ही पेटेंट स्वीकृत होता है, टीम बड़े पैमाने पर अनुसंधान और विकास को आगे बढ़ाएगी। यह पहल न केवल ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसे अभियानों को बढ़ावा देती है, बल्कि यह भावी पीढ़ी को विज्ञान में नवाचार के लिए प्रेरणा भी देती है।
बरेली की इस टीम का सपना है कि उनका यह प्रयोग देश के हर कोने तक पहुंचे और भारत को टिकाऊ व स्वच्छ ऊर्जा विकल्पों की दिशा में आगे ले जाए। Indian Water Train सिर्फ एक तकनीकी परियोजना नहीं, बल्कि यह भविष्य की सोच और आत्मनिर्भरता की मिसाल है।