महाराणा प्रताप की जयंती पर क्षत्रिय समाज का भव्य आयोजन

कानपुर में महाराणा प्रताप जयंती पर भव्य शौर्य यात्रा निकली, हजारों की भीड़, आतिशबाजी और पुष्प वर्षा

महाराणा प्रताप की जयंती पर क्षत्रिय समाज का भव्य आयोजन
महाराणा प्रताप की जयंती पर क्षत्रिय समाज का भव्य आयोजन

कानपुर: महान वीर योद्धा महाराणा प्रताप की जयंती के शुभ अवसर पर सोमवार को कानपुर नगर में पहली बार एक भव्य और ऐतिहासिक शौर्य स्वाभिमान यात्रा का आयोजन किया गया। इस आयोजन ने न केवल महाराणा प्रताप के शौर्य और बलिदान को स्मरण किया, बल्कि पूरे क्षत्रिय समाज को भी एकजुट किया।

यह भव्य यात्रा कानपुर के एसपीएम मेट्रो स्टेशन से प्रारंभ होकर जरीब चौकी स्थित महाराणा प्रताप प्रतिमा स्थल तक निकाली गई। शाम पांच बजे प्रारंभ हुई इस यात्रा में महाराणा प्रताप जी और बुंदेलखंड के महान योद्धा महाराज छत्रसाल जी की भव्य रथों पर प्रतिकृति सवार थी। रथों के आगे-आगे मोटरसाइकिल सवार युवाओं का जोश और पीछे-पीछे हजारों की भीड़ का उत्साह पूरे कार्यक्रम को अत्यंत भव्य बना रहा था।

पूरे मार्ग में जगह-जगह पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया। यात्रा के दौरान आकर्षक साउंड सिस्टम से देशभक्ति गीतों की गूंज ने माहौल को जोश और गर्व से भर दिया। वहीं शाम के समय होते-होते रंग-बिरंगी आतिशबाजी ने पूरे आसमान को रौशन कर दिया। इस आयोजन ने उपस्थित जनसमूह के हृदय में महाराणा प्रताप के अदम्य साहस, स्वाभिमान और बलिदान की छवि को जीवंत कर दिया।

कार्यक्रम का सफल आयोजन विभु ठाकुर, दीपक सिंह, संजय सिंह भदौरिया, हरीराज सिंह, राजेश सिंह भदौरिया, रणधीर सिंह चौहान, वीरेंद्र सिंह उर्फ सूरज ठाकुर, अभिषेक सिंह, अनुज सिंह साईं सहित कई समर्पित कार्यकर्ताओं और सहयोगियों के अथक प्रयास से संपन्न हुआ।

इस आयोजन में कानपुर के समस्त क्षत्रिय समाज, सामाजिक संगठन, युवा वर्ग एवं महिलाओं की भी भागीदारी विशेष रूप से देखने को मिली। शौर्य यात्रा में शामिल प्रतिभागियों ने इसे क्षत्रिय परंपरा, संस्कृति और वीरता का प्रतीक बताते हुए हर वर्ष इस भव्य आयोजन को और भी भव्य बनाने की प्रतिज्ञा ली।

महाराणा प्रताप का जीवन भारतीय इतिहास में त्याग, साहस और मातृभूमि के प्रति अटूट समर्पण का जीवंत उदाहरण है। उनकी जयंती पर यह आयोजन नई पीढ़ी को उनके आदर्शों से जोड़ने का एक सशक्त माध्यम बना।

क्षत्रिय समाज के वरिष्ठ सदस्यों ने कहा कि इस प्रकार के आयोजन से सामाजिक एकता और युवाओं में अपने इतिहास व परंपराओं के प्रति सम्मान और जागरूकता बढ़ती है।