भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के पुनरोद्धार के लिए दोहराई प्रतिबद्धता
भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के पुनरोद्धार की आवश्यकता पर बल दिया और सदस्य देशों के साथ मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता दोहराई।

न्यूयॉर्क। भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के पुनरोद्धार के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए, वैश्विक शासन को मजबूत करने और प्रमुख अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों का समाधान करने की आवश्यकता पर जोर दिया है। महासभा के पुनरोद्धार पर तदर्थ कार्य समूह के तहत एक विषयगत बहस में बोलते हुए, संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी. हरीश ने पुनरोद्धार के लिए आवश्यक प्रमुख कदमों की रूपरेखा प्रस्तुत की।
महासभा के लिए भारत का दृष्टिकोण
अपने संबोधन के दौरान, राजदूत हरीश ने सभी सदस्य देशों के साथ रचनात्मक और रणनीतिक सहयोग करने की भारत की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने UNGA के सार्वभौमिक और अंतर-सरकारी स्वरूप को रेखांकित करते हुए इसे वैश्विक संसद के सबसे नजदीक बताया।
वैश्विक नीति निर्माण में UNGA की भूमिका
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन ने अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर हरीश के संबोधन का एक वीडियो साझा किया। अपने भाषण में उन्होंने कहा,
“भारत ने हमेशा महासभा की अद्वितीय स्थिति को मान्यता दी है। इसका सार्वभौमिक और अंतर-सरकारी स्वरूप इसे वैश्विक नीति निर्माण का एक अभिन्न अंग बनाता है। संप्रभु समानता और समावेशिता इसकी पहचान हैं। यह महत्वपूर्ण है कि महासभा की नीति-निर्धारण की प्रमुख भूमिका का पूर्ण रूप से सम्मान किया जाए।”
पुनरोद्धार की आवश्यकता पर जोर
हरीश ने इस बात पर प्रकाश डाला कि वैश्विक संकटों, विशेष रूप से चल रहे संघर्षों और हिंसा के बीच, संयुक्त राष्ट्र की प्रभावशीलता महासभा के पुनरोद्धार पर निर्भर करेगी।
“हम एक ऐसे युग में रह रहे हैं जो संघर्षों और हिंसा से प्रभावित है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र पर बढ़ता दबाव है। बहुपक्षवाद की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि संयुक्त राष्ट्र इन अपेक्षाओं को कितनी कुशलता से पूरा कर सकता है,” उन्होंने कहा।
बहुपक्षवाद के प्रति भारत की प्रतिबद्धता
भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर जटिल वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए काम करने की अपनी प्रतिबद्धता को फिर से रेखांकित किया। हरीश ने बताया कि एक मजबूत और पुनर्जीवित महासभा अंतरराष्ट्रीय शांति को बढ़ावा देने और बहुपक्षीय सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए अत्यंत आवश्यक है।
महासभा के सुधार के प्रति भारत का ध्यान, एक प्रभावी और समावेशी बहुपक्षीय प्रणाली की आवश्यकता के साथ जुड़ा हुआ है। समावेशिता, समानता और रचनात्मक संवाद को प्राथमिकता देते हुए भारत वैश्विक शासन और कूटनीति में एक सक्रिय योगदानकर्ता के रूप में अपनी भूमिका निभाता रहेगा।
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